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________________ विषयाः पृष्ठाङ्काः | विषयाः पृष्ठाङ्काः चतुर्विधबुद्धिस्वरूपम् ......... १८८-१८९ चतुर्विधतपःसमाध्युपदर्शनम् ........... १९८ ॥ सप्तमषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ चतुर्विधाचारसमाध्युपदर्शनम् .......... १९८ अष्टविधकर्मोपदर्शनम् ................ १८९ | ॥ द्वादशषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ अष्टाङ्गयोगस्वरूपम् ........... १८९-१९० | दशविधवैयावृत्त्योपदर्शनम् ............. १९९ अष्टमहासिद्धिस्वरूपम् ............... १९० | दशविधविनयोपदर्शनम् ............... १९९ अष्टयोगदृष्टिस्वरूपम् ................. १९० | दशविधधर्मोपदर्शनम् ........... १९९-२०० चतुर्विधानुयोगोपदर्शनम् ....... १९०-१९१ षड्विधाऽकल्प्योपदर्शनम् ............. २०० ॥ अष्टमषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ ॥ त्रयोदशषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ नवतत्त्वनामोपदर्शनम् ................ १९१ दशविधरुचिस्वरूपनिरूपणम् .... २००-२०१ नवब्रह्मचर्यगुप्तिस्वरूपम् ....... १९१-१९२ द्वादशाङ्गोपदर्शनम् .................... २०१ नवनिदानस्वरूपम् ............ १९२-१९३ द्वादशोपाङ्गोपदर्शनम् .................. २०१ नवकल्पविहारस्वरूपम् ............... १९३ द्विविधशिक्षोपदर्शनम् ................. २०१ ॥ नवमषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ | ॥ चतुर्दशषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ दशविधासंवरोपदर्शनम् ............... १९४ एकादशश्राद्धप्रतिमादशविधसंक्लेशोपदर्शनम् ............. १९४ स्वरूपोपदर्शनम् .......... २०१-२०२ दशविधोपघातोपदर्शनम् .............. १९४ | श्राद्धद्वादशवतोपदर्शनम .........२०२-२०३ हास्यादिषट्कोपदर्शनम् .............. १९४ त्रयोदशक्रियास्थानोपदर्शनम् ........... २०३ ॥ दशमषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ | ॥ पञ्चदशषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ दशविधसामाचारीदर्शनम् ............. १९५ द्वादशोपयोगोपदर्शनम् ................. २०४ दशविधचित्तसमाधिस्थानोपदर्शनम् .... १९५ दशविधप्रायश्चित्तदानोपदर्शनम् ......... २०४ षोडशकषायोपदर्शनम् ......... १९५-१९६ चतुर्दशोपकरणोपदर्शनम् .............. २०४ ॥ एकादशषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ ॥ षोडशषट्त्रिंशिकाविषयोपक्रमः॥ दशविधप्रतिसेवोपदर्शनम् ............. १९६ द्वादशविधतपउपदर्शनम् ............... २०४ दशविधशोधिदोषोपदर्शनम् .... १९६-१९७ द्वादशभिक्षुप्रतिमास्वरूपोपदर्शनम् २०५-२०६ चतुर्विधविनयसमाध्युपदर्शनम् ........ १९८ द्वादशभावनोपदर्शनम् ........... २०६-२०७ चतुर्विधश्रुतसमाध्युपदर्शनम् .......... १९८ | श्रीगुरुगुणषट्त्रिंशत्षट्त्रिंशिकाकुलकविषयानुक्रमणिका ...१५३...
SR No.022237
Book TitleGurugunshat Trinshtshatrinshika Kulak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandrasuri
PublisherSanghvi Ambalal Ratanchand Jain Dharmik Trust
Publication Year2014
Total Pages258
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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