SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 491
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४५०) सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बनजारा शायर-नजीर मज्म में जो १, २ आदि संख्या शब्दों के आगे दी है, उनके अर्थ अंत में हैं ( १ ) . टुक हितॊ हवा १ को छोड़ मियां, मत देस विदेस फिरे मारा; कज्जाक २ अजल ३ का लूटे है, दिन रात बजाकर नक्कारा४। क्या बधिया-भैंसा-बैल शुतर५, क्या गोएं पिल्ला सरभारा; क्या गेहूं चांवल मोठ मटर क्या आग धुंआ, क्या अंगारा ।। सब ठाठ पड़ा रह जावेगा, जब लार चलेगा बनजारा, कज्जाक अज़ल का लूटे है दिन रात बजा कर नक्कारा ॥ सब ठाठ॥ ( २ ) गर तु है लक्खी बनजारा और खेप भी तेरी भारी है। अय गा फल ! ६ तुझसे भी चढ़ता एक और बड़ा बेपारी है । क्या शक्कर-मिसरी-कंद-गिरी, क्या सांभर-मीठा-खारी है; क्या दाख-मुनक्का-सोंठ-मिरच, क्या केसर-लोंग-सुपारी है ।सब ठाठ ।। यह खेप भरे जो तू जाता है वह मियां मत गिन अपनी; भव कोई घड़ी पल साअत में यह खेप बदन की है कफ़नी । ७ क्या थाल-कटो-चांदी के, क्या पीतल की डिबिया ढकनी; क्या बरतन सोने-रोपे के, मिट्टी की हंडिया ढकनी ॥ सब ठाठ ॥ यह धूम धड़ाका साथ लिये क्यों फिरता है जंगल जंगल, एक तिनका साथ न जावेगा, मौजूद हुवा जब आन अजल । घर बार-अटारी चौपारी, क्या खासा-ननसुख और मलमल; क्या चिलमन ८ पर्दै-फर्श नये, क्या लाल पलंग और रंग महल ॥स. ठा.।।
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy