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________________ अध्यात्म-कल्पद्रुम अर्थ- एक छोटा सा दीपक भी अंधकार का नाश करता है, अमृत की एक बूंद भी अनेक रोगों को हर लेती है, अग्नि की एक चिनगारी भी घास के ढेर को भस्म कर देती है; उसी प्रकार से धर्म का अल्प अंश भी यदि शुद्ध हो तो पाप का नाश कर देता है ।। १३ ।। उपजाति २५० युक्त स्थान में यदि नष्ट कर देता है । को नष्ट शुद्ध हो, विवेचन-अनेक वर्षों के अंधकार दीपक रखा हो तो वह अंधकार को जैसे अमृत की बूंद रोग को, अग्नि का कण घास कर देता है वैसे ही धर्म का एक अंश जो अति केवल संवेग भाव से किया हो तो अनेक भवों के पापों को नष्ट कर देता है | आज श्रावश्यकता तो भाव शुद्धि व ठोस क्रिया की है, एवं सच्चे भाव से की जाने वाली धर्म क्रिया व तपस्या की है । लाखों रुपयों का दान देने वाले, आयंबिल खाता चलाने वाले, साधुनों का चौमासा कराने वाले व अनेक तरह से खर्च करने वाले भी कभी कभी ऐसे निर्दयी व स्वार्थी होते हैं कि साधर्मी भाई या साधु के लिए जरा सा खर्च या सेवा का कार्य नहीं कर सकते हैं । प्रचुर धन से सेवा करने वाले भी तन से साधारण सी सेवा नहीं कर सकते हैं । हम धर्म भी करते हैं तो अपनी आराम तलबी को कम न करते हुए या अपनी प्रशायश में कमी न रखते हुए ही । अतः शुद्ध भाव भक्ति से किया गया धर्म कार्य ही मोक्ष दिला सकता है । भाव व उपयोग बिना की क्रिया से काय क्लेश भावोपयोगशून्याः कुर्वन्नावश्यकीः क्रियाः सर्वाः । देहक्लेशं लभसे, फलमाप्स्यसि नैव पुनरासाम् ॥ १४ ॥ ·
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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