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________________ वैराग्योपदेश २११ प्राम, तीन वणिक्, गाड़ी चलाने वाले तथा भिखारी आदि के दृष्टांतों की तरह से बहुत दुःख पाएगा ॥ १३ ॥ उपजाति विवेचन -प्रमाद से यह जीव दुर्लभ मनुष्य भव को खो बैठता है और नीचे दिए गए दृष्टातों की तरह से पछताता है । ये दृष्टांत विशेषतः मनन करने योग्य हैं। टीकाकार कहते हैं कि प्रमाद के वशीभूत हुवा यह प्राणी सुकृत नहीं करता है जिससे मनुष्य भव से पतित होता है व दुर्गति में जाता है। वहां पछताता है जिससे कोई लाभ नहीं होता है। हमें भी मनुष्य भव मिला है अतः कहीं पीछे पछताना न पड़े इसलिए अभी से सावधान हो जाना चाहिए । १. बकरे का दृष्टांत किसी गांव में एक गृहस्थ के घर एक बकरा था जिसे बहुत खिलाया पिलाया जाता था। उसी के यहां एक गाय व बछड़ा था। बकरे की पूरी सार संभाल देखकर बछड़े ने गाय से कहा कि हे माता मुझे तो मालिक पूरा दूध व दाना पानी भी नहीं देता है जब कि इस बकरे की कितनी सार संभाल की जा रही है ?" मां ने कहा, “बेटे ! जैसे मृत्यु शैया पर पड़े असाध्य रोगी को सब कुछ खाने पीने की छूट दी जाती है और उसकी आशा तृष्णाएं पूरी की जाती हैं वैसे ही इस बकरे को भी मारने के लिए ही मोटा ताजा किया जा रहा है; तू देखना इसका क्या हाल होता है ।" थोड़े दिनों के बाद वहां कोई बड़ा मेहमान आया उसके स्वागत के लिए उस बकरे
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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