SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क ॥ जयन्तु वीतरागाः ॥ पंजाब केसरी स्व० प्रा० श्री विजयवल्लमसूरीश्वरजी के विद्वान शिष्य जेसलमेर ज्ञान भंडार के उद्धारक आगम प्रभाकर मुनिजी श्री १०८ श्री पुण्यविजयजी म. सा. का प्राशीवाद ! _ "शुभे यथाशक्ति यतनीयम्” इस महावाक्य को खयाल में रखते हुए प्रत्येक मानवने सत्कार्य में प्रवृत्त होना ही चाहिए और यही मानव जीवन की सफलता है, यही मानव जीवन का एक उच्च आदर्श है । भाई श्री फतहचन्द्रजी श्रीलालजी महात्मा ने अपनी कुछ रचनायें मेरे को दिखलाई हैं । मैं उनको हार्दिक धन्यवाद देता हूं कि वे अपने समय का सदुपयोग अच्छे कार्य में कर रहे हैं । उनका निजी ध्येय आम साधारण जनता को आध्यात्मिक मार्ग का निदर्शन कराने का है और इस विषय में वे यथा शक्ति प्रयत्न भी कर रहे हैं, जो स्तुत्य है। अध्यात्मकल्पद्रुम ग्रन्थ का विवेचन भी उन्होंने किया है जो सामान्यतया जनता को जरूर लाभप्रद होगा ऐसी आशा है। लि० मुनि पुण्यविजय सं. २०१५ चैत्र शुक्ला एकादशी चन्द्रवार अहमदाबाद
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy