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________________ लिए उपयोगी बना हुवा है। इस स्थान पर स्वामीजी की संस्पूर्ण दृष्टि है अतः गुरुकुल, मन्दिर व अनुष्ठान का कार्य सतत सुव्यवस्थित रहने की संभावना है। इसीलिए तो रत्नाकर भारत भूमि के चरण यहां पर चूमता है। दक्षिण भारत वंदनीय है। बैंगलोर-बैंगलोर कपड़े के व्यापार का व अनेक सरकारी उद्योगों का केन्द्र है। सर्दी खूब पड़ती है। लोगों में धर्म के प्रति बड़ी श्रद्धा है। अंग्रेजी में जैन साहित्य का प्रकाशन होकर जैन मिशन द्वारा विदेशों में भेजा जाता है। ___ श्रवण बेलगोला-(मैसूर) श्री बाहुबलीजी की ५८ फुट की मूर्ति के दर्शनों का सौभाग्य मिला। इंद्रगिरि पर यह मूर्ति विद्यमान है। आदिनाथ व शांतिनाथ के दो अन्य मन्दिर भी हैं । एक ही पहाड़ में से काट कर बनाई गई इस आश्चर्यमयी मूर्ति को देखकर जीवन कृतार्थ हुवा। चंद्रगिरि पर १६ जैन मन्दिर हैं जिनमें १६ से लेकर २८ फुट तक की मूर्तियां भी हैं। इस गांव में जैन ब्राह्मणों (माहण-महात्मा) के बहुत घर हैं । भट्टारकजी भी माहण ही हैं। उनका मन्दिर बड़ा सुन्दर है। इस प्रांत में माहणों के बहुत घर हैं। यहां तथा मैसूर में भी जैन ब्राह्मण छात्रालय हैं । दक्षिण के माहण दिगंबर हैं जब कि उत्तर के माहण (महात्मा) श्वेताम्बर हैं । ____ मैसूर यहाँ का राजवाड़ा या राजमहल बहुत सुन्दर हैं । शहर आकर्षक है। जैन मन्दिर बड़ा सुन्दर हैं। यहां से १८ मील दूर कृष्ण सागर बांध व कदंबवाडी देखकर मैं आत्म
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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