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________________ सिद्धान्तसार. ( ५०५ ) तत्माने एकान्त रुपी केम कहो हो ? वली कषाय ने जोगने श्रात्मा कही तेथ] ते श्वरुपी बे एम तेरापंथी कहे बे, पण ते जुटुं बे; कारण के सूत्रमां कषाय- आत्माने तथा जोग- श्रात्माने रुपी क्यांय कदी नथी. कषाय तथा जोग रुपी पुद्गल जीवने ज्यां सुधी लोली जुत रहे त्यां सुधी श्रात्मा शब्दे पुन्य पापनी पेरे व्यवहारमां जीव कहीये, छाने निश्चेनयमां जीव ढोड्या पठी जीव कहीये. ए न्याये श्रवने जीव कहीये. (१) वली श्राश्रवने छाजीव कया न्याये कहीए: - श्राश्रव बोमवा योग्य डे, कारण के जीव सिद्धगतिमां जाय त्यारे श्राश्रवने श्रजि बोमी जोय बे. दवे जीवथी बुटे ते कर्म पुद्गल निश्वेनयमां जीव दे. ए न्याये श्राश्रवने अजीव कहीये. (२) इत्यादिक अनेक सूत्रनी शाखे करी निश्चेन्नयमां श्राश्रवने अजीव कहीये. 1, वे व्यवहारनयमां श्राश्रवने जीव कया न्याये कहीएः-त्रण उपरली नय नदयजावना जोगथी जीवना अशुद्ध उपयोगने याश्रव माने, पाथाने द्रष्टान्ते. ते उपयोग आत्मा बे ने आत्मा नाम जीवनुं बे. ए न्याये श्राश्रवने जीव कहीये. (१) वली श्राश्रवने जीव कया न्याये कहीयेः श्राश्रव जीवनुं लक्षण बे, श्राश्रवनो कर्ता जीव बे, घने आश्रव जीवपणे प्रणम्यो बे. ए न्याये श्राश्रवने जीव कहीये. ( 2 ) बाकी उदाहरण पुन्य पापनी पैरे जाणवां. वे संवरने जोव कया न्याये कहीयेः नाव संवर ते उपरली त्रण नय जीवना उपयोगने संवर माने बे, पाथाने द्रष्टान्ते. ते उपयोग आत्मा ने आत्मा नाम जीवनुं बे. ए न्याये संवरने जीव को ए. (१) वल्ली संवरने जीव कया न्याये कहीएः-संवर जीवनुं लक्षण बे, संवरन कर्ता जीव बे. ए न्याये संवरने जीव कहीये. ( २ ) वली संवरने जीव कया न्याये कहीये:-संवरनी क्रिया पांच दे. समकित १, व्रत २, अप्रमाद ३, अकषाय ४ श्रने अजोग ५. शाख सूत्र समवायांगजी. ए पांच दने जीवनी पर्याय कही बे. शाख सूत्र जगवती शतक बीजे नद्देशे पेले, खंधकजीना अधिकार मां. अनंता ज्ञानना पर्याय ६४
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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