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________________ सिद्धान्तसार. ( ५०३ ) खपाववावालो जीव बे, छाने खपे ते कर्म-पुद्गल जीवने नपाधि रुप श्रव निश्चेनयमां अजीव बे. ते श्राश्रव रुपी जीव द्रव्यना उपयोगे पुद्गलमां प्रवेश कर्यो त्यारे कर्मनुं कारण ग्रहण जोग कही देखामयुं बे; पण आश्रव जीव नथी, अजीव बे. वली श्राश्रवने छाजीव कये न्याये कही ये ः- शुभाशुभ कर्म यावे तेने श्राश्रव कहीये, खावे ते कर्म रुपी पुद्गल निश्चेनयमां श्रजीव बे. ए न्याये श्रवने अजीव कहीये. (१) वल प्रभवने जीव कया न्याये क:- पुन ने पापने श्रव कह्या बे, ( शाख सूत्र उत्राध्ययन अध्ययन १०.) छाने पुन्य पाप ते शुभाशुभ कर्म बे. ते कर्मने रूपी कह्यां डे. (शाख सूत्र ared सतक १२ में) ने रुपी पुद्गलने बीजा शतकमां जीव कह्या . न्याये श्राश्रवने जीव कहीये. (२) वली श्राश्रवने खजीव कया न्याये कही ये ः जीव निश्चेमां प्ररुपीज बे रुपी नथी; अने श्राश्रवनी क्रियाना पांच भेद का बे. शाख सूत्र समवायांगमां. अने ते पांच दने रुपी का ठे. मिथ्यात्व, कषाय, अने मन वचनना जोगने रूपी चोफरसी का बे, घने कायाना जोगने तो रुपी आठ फरसी कला बे. शाख सूत्र जगवती शतक १२ में. अने प्रवृत पचखाणी क्रियाने रुपी कड़ी बे. शाख सूत्र ठाणायांगमां. प्रमादना पांच जेद कला:मद १, विषय २, कषाय ३, निंद्रा ४ छाने विकथा, ए पांच जेद रुपी बे. तेम श्राश्रवना पण पांच जैद रुपी बे. रुपी पुद्गल निश्चे-नयमां - जीव बे. ए न्याये श्रवने जीव कहीए. (३) वली श्राश्रवने जीव कया न्याये कहीयेः-पांच इंद्रि तथा त्रण जोग मोकला मेले ते यश्रव ते जीव कह्या बे ने जोवने जोग यात्रता कह्या बे. शाख सूत्र जगवती शतक १५ में नद्देशे बीजे. एन्याये श्राश्रवने जीव कहीये. (४) वली तेरापंथी कहे बे के " कर्मने खेंचवावालो तथा ग्रह वालो श्रवने को बे ने कर्म खेंचवानी तथा ग्रहवानी शक्ति जीवनी d. ए न्याये श्रवने जीव कहीये बीए. " तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! 'जेम श्रीपीठ कांटाने हे बे तेम श्राश्रव कर्मने प्रदे डे. हवे चीपोट
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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