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________________ (१९०) +सिद्धान्तसार.. जी०जीव स० अंत सहित डे. खे० देत्रथकी पण सण अंत सहित . का कालयकी जी जीव अ अंत रहित ने अने नाप नावथको पण जी0 जीव १० अंतरहित ले. जावार्थ:-हवे जुन ! श्रा पाठमां अनंत ज्ञानना, अनंत दर्शनना अने अनंत चारित्रना पर्यायने नावजीव कह्या; अने एतो संवर, निर्जरा अने मोदना नेद बे. वली धनंता गुरु-लघु पर्याय, नदारीक शरीर, श्रठफरसी पुदगल, पुन्य, पाप, बंध, शुनाशुन कर्मनी प्रकृति अने श्रगुरुलघु पर्याय, श्राप कर्म, कारमण शरिरादिक, रुपी-चोफरसो पुदगल, शुनाशुन्न कर्मनी प्रकृति, ए गुरु-लघु पर्यायने तथा श्रगुरु-लघु पर्यायने नावजीव कहा , अने आठ कर्मने कारमण शरीर कयुं ले. तेनी शाख सूत्र जगवती शतक ७ में ए न्याये पुन्य, पाप अने बंधने जीव कहीए. वली पुन्य, पाप श्रने बंधने जीव ए न्याये कहीयेः काया कर्मनी प्रकृ. तिले अने कायाने जीव को ले. शाख सूत्र नगवती शतक १३ में उद्देशे ७ में. ते पाठः आया नंते काए अन्नेकाए ? गो ! आयाविकाए अन्नेविकाए. रुवि जंते! काए अरुविकाए ? गोo! रुविविकाए अरुविविकाए एवं एकेक पुत्रा. गोळ! सचित्तेविकाए अचित्तेविकाए जीवेविकाए अजीवेविकाए जीवाणविकाए अजीवाणविकाए. पुदिनंते! काए पुना गोळ! पुस्विंपिकाए काश्चमाणेविकाए कायसमयवित्तिकंत्तेविकाए पुविंपिकाएनिय काश्यमाणेविकाएनिय कायसमयविश्कतेविकाएनिधश कशविदेणं नंते! काए पं0? गो०! सत्तविहेकाए पं00 उरालिय उरालियमिसिए वेनविय वेनवियमिसिए आदारए आदारमिसए कम्मए ॥ अर्थः पूर्ववत् जुन प्रश्न बीजे. पाबल पाने सत्यासीमें.
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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