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________________ 4 सिद्धान्तसार. ( ४५५ ) नदी उतरवामां धर्म न जाणे. धर्मतो नृपशम, क्षयोपशम छाने कायक नावे बे, अने नदी उतरवी तेतो उदय जावे ते. वली जो नदी उतरवामां श्राज्ञा धर्म जागो तो उपशम भावना अग्यार बोल, क्षयोपशम जावना पचास बोल अने दायक भावना सामत्रीस बोल अनुयोगद्वारमां का बे. हवे नदी उतरवी ते कया बोलमां बे ते कहो. उपशम, क्षयोपशम तथा कायक जावना बोलोमां तो नदी उतरवी ते नथी, अने जगवंतनी थाज्ञातो ज्ञान, दर्शन, चारीत्र अने तपनी बैं. नदी उतरवी ते तो नदयनावमां बे. ते उदयन्नावने तमे आज्ञा धर्म केम कहो हो ? "" वारे तेरापंथ कहे के " नदीमां सीजे का बे. नदी उतरतां केवलज्ञान उपजी जाय. पाप होय तो केवलज्ञान केम उपजे ? तेनी उत्तर. हे देवानुप्रीय ! नदी उतरतां तो सीजे नही, कारण के नदी उतरवी तेतो कायाना योगथी ( पग उपामवाथी) बे, अने सि. तो मन, वचन छाने कायाना जोग निरोध कर्याथी अजोगी (चोदमें) गुणठा अंतर्मुहूर्त रहिने सिद्ध थाय ते तमे नदी उतरतां सिक केम कहो ढो ? नदीमां, समुद्रमां तथा जलमां सीजे कह्या, तेतो सादारण श्री जाणवुं; केमके देवतादिक बद्मस्थ साधुने श्राकाशयो पटकतां मार्गमां केवलज्ञान उपजी जाय. ते जोग निरोधी अजोगीप मां पाणी मां परुतां मुक्ति जाय ते श्राश्री कयुं बे; पण नदय आवे कायाना जोगथी चपलाइ करतां तथा नदी उतरतां मोह जाय नही. हवे तमें नदी उतरतां केवलज्ञान उपजे कहो तो बो, पण केवलज्ञानती कायक जावमां बे ने नदी उतरवी ते नदय जावमां बे. ते शी रीते बंध बेशे ? तैवारे तेरापंथी कड़े के, जो नदी उतरवामां पाप होय तो केवली नदी कम उतरे ? तेनो नंतर हे देवानुप्रीय ! केवलीने तो कोषादिक चार कय गया तेथी विहार करतां, ढालतां चालतां यने नदी उतरतां औीष दणाय तो पण फकत एक इरियाबही क्रिया सातावेद
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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