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________________ + सिदान्तसार.. ए० सि एकज श्लोक कहे; से ते पण वि० उन्ना रहीने, पण नो० नही अण् बेसीने कहे. नो न कल्पे नि साध साधवीने अंग घर वचाले बेसीने इ० एपं० पांच माहावत स पचीस जावना सहित श्राप केहेवां, वि० श्रर्थ जुदा जुदा कथी प्राणातिपात वेरमणादिक कि विस्तारी केहेवा (प्रश्नव्याकरणमां गुण कह्या ते), प० विशेष केहेवा (मुक्तिपद पामवा रुप माहाव्रत (निर्जरा)नां फल), न० पण एटदुं विशेष एण्ना० एकज न्याय अष्टान्त एण्वा० एकज प्रश्नोत्तर एण्गा एकज गाथा एसि० एकज श्लोक केदेवो; से तेपण वि उना रहीने; नो पण बेसीने न केहेवो. .. नावार्थः-हवे जुट ! था पाठमां श्री वीतरागदेवे एम कडं डे के, साधसाधवीने ग्रहस्थीना घेरे ननुं रेहे, १, बेस, २, सु, ३, निशा खेवी ४, विशेष निंजा लेवी ५, अस्नादिक चार श्राहार करवा ६, नच्चारपासवण खेल परग्ववां , सज्जाय करवी , ध्यान करवू ए, अने काउसग्ग करवो १०, ए दस काम ग्रहस्थीना घेरे जश्ने करवां नहीं; अने अपवाद मार्गमा बुढो ( स्थिवर ), रोगो तथा पुर्बल होय, मुर्ग श्रावती होय अने हेगे पमतो होय तेने ग्रहस्थीना घेरे बेसबुं कस्पे. वली भागल आ पाठमांज एम कडंडे के, ग्रहस्थोना घेरे चार पांच गाथा केदेवी नही, पांच माहावत पण केहेवां नही, तेम पांच माहाव्रतनी पचीस नावना पण केहेवी नही. कदाचित कोइ पुढे तो एक प्रश्ननो उत्तर देवो तथा एक गाथा अथवा एक श्लोक केहेवो; ते पण उन्ना रहीने केहेवो, पण बेसीने केहेवो नही. ए जु ! नगवंतनी तो आज्ञा एवी डे के, ग्रहस्थीना धेरे काम पमयां केहे, पमे तो एक श्लोक के गाथा नन्ना रहीने केहेवी; पण बेसीने कड़वानो माझा नथी. त्यारे घणी वार ग्रहस्थीना घेरे बेसीने उपदेश देवो क्या थकी? तमे प्रजुनां वचन उत्थापीने ग्रहस्थीना घेरे बेसीने वखाण वांचवें तथा नपदेश देवो केम स्थापो हो ? तेवारे तेरापंथी, प्रहस्थीना घेरे बेसवं स्थापवाने अर्थे एम कहे
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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