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________________ +सिदान्तसार. नहीं थाय. ए विनय-बंदणा, नमस्कार करवाना प्रणाम उदय नावमा के कयोपशम नावमां ? जो उदयनावमां कहेशो तो कया कर्मनो उदय ने ? अने ए प्रणामे अशुन कर्म बंधाय तो कयु कर्म बंधाय ? ए कया कर्म बांधवाना कारणमां नले ते निर्णय कहो. वलो चतुर्विध शंघनी वैयावच करवी तो सूत्रमा घणे गमे कही ले. तमे आटला सूत्रना पाठ उत्थापीने पमिमाधारी प्रमुख विरक्त श्रावकना विनय, वैयावच, वंदणा, नमस्कार, कर्यामां मतना लीधे पाप केम बतावो बो ? वली तेरापंथो कहे जे के, " साधु वसे ते जग्यामां ते गमे रात्रे, अमधि रात के बधी रात ग्रहस्थने के श्रावकने राखवो न कल्पे, अने राखे तो चोमासीप्रायश्चित आवे, एम सूत्र नषितना आठमा उद्देशामां कडं .” ए तेमनुं (तेरापंथीनुं) कहेवं सूत्रार्थना अजाणपणानुं बे, कारण के नषितनी चूर्णिकामां ए अर्थ एम को ले के, जे स्त्री तथा परिग्रह सहित कलेश करी तथा राज अप्राधी चोर इत्यादिक अपराध करी आव्यो ने तथा सारंजो, सपरिग्रही , तेनी ना कही . वली नषितमां तो एम कयुं के, राखे, रखावे अने राखताने नलो जाणे तो चोमास प्रायश्चित आवे. एनो परमार्थ ए के, पोताना स्वार्थे प्र. हस्थीने कहे " तुं मारी कने रहे.” एम कहीने राखे तो, तथा अनेरा साध तथा ग्रहस्थ श्रावकने कहे के, “तमे मारा पासे ग्रहस्थीने राखो" एम कहीने रखावे तो, तथा को साधु श्रावक, ग्रहस्थने रातना पोताना स्वार्थने अर्थे राखे, त्यारे एम जाणे के “ ए रुकुं काम करे , मारे वास्ते प्रहस्थीने राखे बे;" एवी रीते राखे, रखावे अने राखताने जलो जाणे तो प्रायश्चित श्रावे कडं डे; पण एम नथी कह्यु के, साधु सेहेज स्वजावे ग्रहस्थना सो रहे तो चोमासी प्रायश्चित आवे. ए तो साधु पोताना मतलब काजे राखे, रखावे अने राखताने नलो जाणे तो चोमासी प्रायश्चित कयुं बे; पण सेहेजे धर्मध्यान, सामायक, पोसा, संवर प्रमुख करे तथा रात्रे साधु नोनो मेवा नकि को तेने निरयो नयी. तेनो शाख सूत्र बहतकरूप उद्देशे पहेले. ते पाठः
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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