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________________ + सिद्धान्तसार.. संजवे दे. तेवारे तेरापंथी कहे डे के, “हांतो माहण प्रत्ये, एवो समचय अर्थ को , पण श्रावकनो अर्थ को नथी. " तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! श्री जगवती सूत्रना पहेला शतकना सातमा उद्देशामा अन्नयदेवसूरिजीए गर्नना अधिकारमां, समणंवा माहणंवा शब्द थाव्यो ने त्यां, समणं नाम तो साधुनो अर्थ कयों बे, अने माहण शब्दनो अर्थ श्रावक कों बे; तथा दोलतसागरजी कृत जगवतीजीना टबामां पण पुर्वोक्त रीते अर्थ को बे. तेवारे तेरापंथी कहे डे के, पहेला शतकना सातमा नदेशामां माहण शब्दनो श्रावक अर्थ कर्यो, त्यारे भाउमा शतकमां माहण शब्दनो श्रावक अर्थ केम न कर्यो? तेनो नत्तर. हे देवानुप्रीय ! सूत्रनो टीकानी शैली एवीज डे के, एकजवार शब्दनो अर्थ करे. एज शब्द वारंवार था तो बोजोवार टीकामां अर्थ न करे. तेमज बीजा शतकना पांचमा उद्देशामां एज पाठ आव्यो , तेमां तथारुप समण माहणनी सेवा कर्यायो ‘सवणे नाणे विनाणे' इत्यादिक दस बोलनी प्राप्ती थाय. हवे जुउँ ! श्रावकनी संगत आने सेवा कर्याथी दस बोलनी प्राप्त थाय के नही ? इहां पण माहण श. ब्दनो अर्थ श्रावक जाणवो. एम सर्वत्र जग्योए जगवंतीमां “ समपंवा माहणंवा" शब्द श्राव्यो त्यां — माहण' शब्दनो पहेलीवार टीकामां श्रावक अर्थ को तेज जाणवो. वलगणायांग सूत्रमा पहेला 'समणं वा माहणंवा' शब्द श्राव्यो त्यां पण अजयदेवसूरीजीए टीकामां 'माहणं' शब्दनो अर्थ श्रावक कर्यो के. एम सर्व सूत्रमा 'समणं वा माहणंवा' शब्दनो अर्थ को ठेकाणे तो न्यारो न्यारो कयों ने श्रने को ठेकाणे मोघम को . समणं साधु प्रत्ये, वा अथवा माहणंवा कहेतां श्रावक प्रत्ये, एमज को बे; पण सर्व जग्याए जगवताना पहेला शतकना सातमा नद्देशामा पहेलोवार टीकार्थ को तेम जाणवो. एज 'ममणंवा माहणंवा' पाउ नगवंतीजोना पांचमा शतकना हा उद्देशामा कह्यो बे. तथारुप समण साधु प्रत्ये अथवा माहण प्रत्ये हीले, निंदे अने, अनीयकारी दान आपे तो अशुन-दीर्घायुष्य बांधे; अने तथारुप समय
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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