SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१२) सिद्धान्तसार.. - अथल्याबहुत्व ति त्रणेने एम कहेवा. ? ज जेम प० पहेला ई० बैंक को विषे कहा तेम इहां पण जाण यावत म मनुष्य पर्यंत कडेवा. श्लादिए . जावार्थः-मूलगुण-पचखाणना बे नेद, सर्वमूलगुण-पचखाण अने देशमूलगुण-पचखाण. सर्वमूलगुणमां पांच माहाव्रत, अने देशमूः बगुणमां श्रावकनां पांच अणुव्रत. उत्तरगुणना बे नेद, सर्वउत्तरगुण-पचखास अने देशउत्तरगुण-पचखाण. सर्वनुत्तरगुणमा दश विधि पचखाए, अने देशनत्तरगुणमां श्रावकनां नपरनां सात व्रत. हवे उपरनी सूत्रशाखायी जाणवू के सूत्र अने चारित्र, ए बे बोल विना बीजा कोपण बौखमां श्री वीतरागदेवनी आज्ञा नथी, तेमज ए बे बोल बिना बीजा कोरुपण बोलने मोदनो मार्ग (धर्म) श्री वीतरागदेवे को नयी. त्यारे तेरापंथी कहे जे के, साधुने आहार करवानी, उपगर्ण राखानी अंने निजा सेवानी इत्यादिक बोलनी नगवंते श्राझा दीधी ३, तमें सूत्र धने चारित्र ए बे बोल शिवाय बीजा कोपण बोलमां नगर्वतनी थाझा नथी एम केम कहोगे ? तेनो उत्तरः-हे देवानुप्रीय ! साधुः जीने आहार करवानी, नपगर्ण राखवानी, निंजा लेवानी, इत्यादिक बोसनी अपवाद मार्गमां श्राझा बे, पण उत्सर्ग ( धोख) मार्गमा बोस्वानी आज्ञा . साधुए ब कारणथी श्राहार करवो अने ब कारणी बोमवो कडं . शाख सूत्र गणायांग तथा उत्तराध्ययन अध्ययन २६ में गाथा ३२ थी ३५. तश्याए पोरसिए, नत्त पाणं गवेसए; चन्द मणय रागंमि, कारणंमि समुहिए. ॥३२॥ अर्थ:-हवे त्रीजी पोरसिने विषे जात-पाणी गवेषे, तेनी विधि कहे-ताश्रीजी पोण पोरसिने विषे नजात पापाणी ग मोके (खे) करणमाहे म अने कोइक का कारण सम् उपन्याथी मा
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy