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________________ ( २८० ) 4 सिद्धान्तसार रण पोषण करे तो पंदरमुं कर्मादान लागे. त्यारे तो श्राणंद प्रमुख सर्व श्रावक यारामोसर करता हता, न्याती - गोतीने जमानता दता, गायो, सो प्रमुख तिर्यंचने पोषता दता, अंतकालादिक समये पेटीयां श्रापता हता ने कुतरांने लाऊ नाखता हता, दासदासी घरना टाबर (बोकरां) प्रमुखने पोषता हता श्रने संसारमां बेठा हता तेथी मागता जीखारोने पण दान देता दशे. ए पूर्वोक्त सर्व संजति के संजति ? इत्यादिक संजतिनां चरण-पोषण करवावालामां तमारी श्रद्धाने लेखे पंदरमुं कर्मादान लागे, त्यारे तेमनामां श्रावकपणुं रहे के नहिं ? कारण के साधु जाणी जाणीने साधुपणामां दोष ( अतिचार ) लगामीने जाव जीव सुधी प्रायश्चित न से तो साधप रहे नहि. तेम पंदरे कर्मादान भावकना सातमा व्रतना अतिचार कह्या बे. एवा अतिचार संज तिना भरण-पोषण करवायी जाणी जाणीने लगाने तो तेनुं श्रावकपणुं मने सात व्रत केम रहे ? ते विवेकथी जुई. वली ए कर्मादान एवं नाम केम थयुं ? एवा व्यापारमां पाप घएं बे तेथी तेने कर्मादान अथवा अनार्य वेपार रह्यो, छाने केइक व्यापारमां पाप धोकुं बे तेने खार्य व्यापार को. शाख सूत्र पन्नवणा पद पेहेले. ते पाठः • सेकिंतं कम्मारिया योग विहा पणत्ता तं० दोसिया सुतिया कप्पासिया मुत्तवेत्तीया जंगवेयालिया कोलालिया परवाविणिया जेयावणो तदप्पगारा सेतं कम्मारिया से किंत सिप्पायरिया २ योगविदा पं० तं० तुलागा तंतुवाया पागारा वेयगा वरुमा बकिया कठपांडयारी मुंजपारा बतारा पारा पोबारा लोप्पारा संखारा दंत्तारा नंगरा जिजोगारा सेखारा कोमीगारा जेयावणे तदप्पगारा से तं सिप्पारिया | अर्थः- से० ते कर्मचारजना हे भगवान! केटला जेद ? इति प्रा. उतर. हे गौतम! क. ते कर्मचाराजना अ० अनेक नेद प० पप्पा
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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