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________________ (१३) + सिद्धान्तसार पाणी तथा प्रकारना कल्पे, तेने लाननी अंतराय पमे, ते अर्थे “ तमने पुन्य नथी " एम पण न कहे. कारणके जे दाननी प्रसंशा करे तेने बकायना वधनो वंबणहार कहोए, अने जे दानने निषेधे तेने वृतिनो दणहार तथा अंतरायनो देणहार कहीए. एम जाणीने साधु मौन राखे. ए जुर्ज ! बस स्थावर जीवनी रदाने अर्थे “पुण्य डे" एम न कहे कडं. पण एम न कयु के, पोतार्नु पाप टालवाने अर्थे पुण्य ने एम न कहे. ए न हएयामां के नगा-मां ? वली को उघामे मोंढे बोले तेने कहे के, “नघामे मोंढे न बोलो." ए वचन न हण्यामां के उगर्योमां ? वली बकायना जीव हणताने कहे के, “ मां हणो, मां हणो," ए वचन न हण्यामां के नगार्यामां ? ते कहो. तेवारे तेरापंथी कहेडे के “ बकायने न हणो" एम कहे ते तो आगलानु पाप टालवाने तथा तरवाने अर्थे उपदेश दे ." तेनो उत्तरहे देवानुप्रीय ! जीवनी रवा थर ते तो कारण जे, अने पाप टट्यु, तरवु थयु, ते कार्य जे. कारणविना कार्य थाय नही श्रीवीतरागदेवे तो गम गम जीवनी रकानां वचन कहां बे, पण तमारी पेरे एम तो कोई सूत्रमा कयु नथी के, आगलानु पाप टालवाने उपदेश देवे. हे देवानुप्रीय! जीवनी रक्षा करी, श्रने उगार्यो, ए तो कारण बे. ए कारणथी पाप टट्युं तेथी कार्य थशेज. वली श्री वीतरागदेवे तो गम गम कान, दर्शन, चारित्र, तप, जीवनी जयणा, पांच सुमति, त्रण गुप्ति, संवर अने जी. वनी रक्षा इत्यादिक कारण कह्यां , अने फलने अधिकारे फल कहां ३. तमे कारणनो नाश केम करोगे ? तेवारे तेरापंथी कहे के “ अन्न. यदाननो लाजतो सूत्रमा गम वगम कह्यो बे, पण अनुकंपानो तथा जीव नगार्यानो लाल कह्यो नथी." तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! कयुं तो पण तम सरखाने सुझतुं नथी. जुर्व सूत्र गणायांग गणे त्रीजे, तथा जगवती शतक पांचमाने नद्देशे बरे. स्पष्ट रीते जीव नगारवार्नु फरमान सिद्ध थाय जे. ते पाठ लखीए बीए:
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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