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________________ (१०२) + सिद्धान्तसार खाइ, श्रचित वस्तुनो वेपार करी आजीविका करे.ए अचित वस्तुना जोगयी सीकार बोमी, त्रस-जीवनी रक्षा करी पोतार्नु पाप टाले तेमां शुं ? (३०) को अनेरो त्रस-जीवनो सीकार करतो होय, तथा बोकरो कीमीयोने कचरतो होय, इत्यादिक अनेक त्रसकाय-जीवनी हींसा करतां सुखमी तथा अचित अव्य प्रमुख पूद्गल दइ त्रसकाय-जीवनी रक्षा करी बागलानुं पाप टलावे तेमां शुं ? (३१) तेमज कोश्यचित सुखमी प्रमुख खाइ तथा श्रचित पुद्गलना व्यापारे आजीविका करी त्रसजीवनी हींसानुं मोटुं पाप गेमी त्रसजीवनी रक्षा करतो होय पाप, टालतो होय तेने नलो जाणे तेमां शुं ? (३५) को श्रावकना पोषा करवाना प्रणाम थया, पण जग्यानो जोग नथी. त्यारे कोश् श्रावके पोतानी जग्या दश पोषा कराव्या. ए पांच श्राश्रव सेववा गेमाव्या तथा उकायना जीवनी रक्षा करावी आगलानु पाप टलाव्युं तेमांशुं? (३३) कोश्श्रावकना सामायक तथा पोषाकरवानान्नाव थया, पण जग्या, पुंजणी तथा मुहपतिनो जोग नथी. त्यारे कोश् श्रावके जग्या, पुंजणी, अंगुबो श्रने मुहपति दश सामायक पोषा करावीने पांच आश्रव बोमाव्या. ए बकायना जीवनी रदा करावी श्रागलानुं पाप टलाव्युं तेमां शुं ? (३४) कोश् टाबर (बोकरो) कीमीयोने कचरतो होय, तेने कोश्वरजी राखी कीमीयोनी रक्षा करावी तेनुं पाप टलावे तेलां शुं ? (३५) को मीठाश्नी चीज उपर कीमी प्रावी, तेने कुतरो खावा लाग्यो. ते देखी कोइए हलवेथी फाटकी कीमीयोने श्राघो करी. ए कीमीयोनी रक्षा करो खावावालानुं पाप टलाव्युं तेमां शुं ? (३६) को नायोथी वामो नयों बे. तेमां लाहे लागी जाणी, कोश दयावंते वामो खोलीने बलती गायोनी रक्षा करी लाहे लगाववावालानुं अव्य पाप टाढ्युं तेमां शुं ? (३७) तेमज को गाम बालतो होय तथा साहे लगामतो होय, तेने वरजी राखी बकायना जीवनी रक्षा करी श्रागलानुं पाप टलावे तेमां शुं ? (३७) साधुने कोऽष्ट फांसी देतो होय तेने कोश् दयावंत वरजी राखे. ए साधुनी रक्षा करी बागलानु पाप टसाव्यु तेमां शुं ? केमके एक साधुनी रक्षा करी तेणे अनंता जीवनी
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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