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________________ शतपदी भाषांतर. हवे चरितानुवादना प्रमाण बतावीये छीये. (१) धनसार्थवाहे घृत वोरान्युं छे. (२) आषाढभूतिए आचार्य, उपाध्याय, संघाडी साधु, तथा पोताना अर्थे चार मोदक वोर्या छे. ( ६६ ) (३) देवकीए पोताना पुत्रोने सिंहकेशरीआ लाडु वोराव्या छे. ( ४ ). अइमत्तानी माता गौतमस्वामिने मोदक आप्या छे. (५) आर्यरक्षितना पिता सोमिले पहेली भिक्षामां मळेला बत्री मोदक साधुओने वेंची आप्या छे. (६) शाळिभद्रे दहि वो छे. (७) ठंढण कुमारे सिंहकेशर मोदक वोर्या छे. इत्यादिक चरितानुवादे अनेक प्रमाण छे. कोइ कदेशे के तेमणे तो कारणे वोर्या हशे तेनुं ए उत्तर छे के ज्यारे तेवा विशिष्ट संघेण धीर्य तथा श्रुतवळवाळाने पण कारण मानो छो त्यारे आजकालना अल्पसत्ववंत मुनिओने कारण केम नथी मानता ! > वळी इहां समजवानुं छे के जेम विगय अपवादे लेवानी छे ते आहार पण अपवादेज लेवानुं छे. जे माटे दशाश्रुतस्कंधमां कं छे के उत्सर्गे चारे मास निराहार रहेवुं पण तेम न थइ शके तो यावत् दररोज आहार करवो, पण योगवृद्धि करवी एटले के जे नोकारसी पाळी शके तेणे पोरिसी पाळवी. तथा ओघनिर्युक्तिमां लख्युं छे के क्षुतवेदना टाळवा अर्थे, वेयावच करवा अर्थे, ईर्ष्या शोधवा अर्थे, संयम पाळवा अर्थे, माण धारवा अर्थे, अथवा धर्मचिंता करवां अर्थे आहार करवो. माटे जेम कारणे आहार कराय छे तेम पुष्टालंबने विकृति तां पण दोष नथी.
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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