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________________ (७) शतपदी भाषांतर. विचार ४ थो. प्रश्नः-दीप पूजा करवी के नहि ? उत्तरः-शास्त्रमा नथी कहेल माटे न करवी. बाकी अंधार होय तो मूर्तिना दर्शन सारुं दीवो कराय छे, पण पूजाना अर्थे न करवो. वळी विवेकिओ तो प्राये सांजनीज पूजा करे छे, रातनी नथी करता. विचार ५ मो. प्रश्नः-रायपसेणी वगेरा सूत्रोमां देवताना अधिकारे रूपाना तंडुलज लखेल छे माटे बीजा केम चडावाय ! उत्तरः-पोतानी शक्ति प्रमाणे बीजा तंडुल चडावे ते पण रजतमय लेखवा. - इहां व्यवहारना भाष्यमां लखेल पुष्करिणी वगेरा दृष्टांतोनी बिना पुरावारूप छे. विचार ६ ठो. प्रश्नः-भगवंतना जन्म महोत्सवमां मेरु ऊपर देवो रूपा, सोना, रत्र, मणि, आभरण, पत्र, पुष्प, फळ, बीज, ने मुगंधि चूर्णनी वृष्टि करे छ एम जंबूदीवपन्नत्तिमां कहेल माटे फळपूजा अने बीजपूजा केम नथी मानता ? उत्तरः-मेरु उपर देवो महामहिमा जणाववा माटे हर्षना आवेशथी रूपावगेरानी वृष्टिज करे छ पण कंइ पूजा नथी क
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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