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________________ ( १०२ ) शतपदी भाषांतर. कोइ कहेशे के सारे श्रावणमां पर्युषणा कर्या बाद पाछी भादरवे करतां तेर मास थवा आवे छे माटे “ बारसहं मासा " एम कैम कही शकाय ? तेनुं उत्तर ए छे के जेम पांच मासवाळा चोमासामां पण " चउएहं मासाणं" कही शकाय छे तथा जेम आगमना अभिप्राये चोथी पाखी चौद दिननी छतां पण पाक्षिक कही शकाय छे तेमज तमारा अभिप्राये तेर चौद पंदर के शोळ दिने पाखी भवतां पण " पनरसहं दिवसाणं" एम एक सरखो आलावो कही शकाय छे तेम इहां पजोसण पर्व बावत पण "बारसहं मासा" ए पाठ कही शंकाय छे तेमज तमारे पण तेर मासनो वर्ष आवतां ए बात सरखीज छे. कदाच एम कहेशो के अधिक मास काळनो चूळारूप होवाथी लेखामां नहि गणाय तो ते वात रद जशे कारण के कल्प तथा निशीथना चूर्णिकारोएज ते लेखामां गणेल छे. कारण के त्यां एम कनुं छे के "जो अधिक मास होय तो वीसे दहाडे पर्युषणा करवी कारण के इहां अधिक मासने मासज गणवो ते हिसाबे पचाश दहाडाज थया." · *+3+4 विचार ८४ मो. प्रश्नः - (परमतवाळा तरफथी):- टीपणुं केम नथी मानता ? उत्तरः- तमारा शास्त्रोथी जैन शास्त्रो जूदी तरेहनाज छे माटे अमारा साथे तमारी शी तकरार चाले. वळ तमारामां पण खंडखाड्य, शिष्यधी, तथा ब्रह्मसिद्धांत वगेरा ग्रंथो साथै वर्त्तमान टीपणां केटलीक बाबतोमां विरुद्ध पडे छे. कारण के ते ग्रंथोमां अधिक मास जूदा कला छे अने हमणा जूदा वर्त्ताय छे. माटे तमारा टीपणां शी रीते मानी शकाय ?
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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