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( १३ )
चक्षुर्दर्शनावरण, अचक्षुर्दर्शनावरण, अवधिदर्शनावरण और केवलदर्शनावरण, (पाँच-निद्रा-) निद्रा निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचला और स्त्याद्धि । वेदनीय कर्म के दो भेद । यथा--
शातावेदनीय और अशातावेदनीय । मोहनीयकर्म के छब्बीस भेद । यथा--
(दर्शन की एक) मिथ्यात्व मोहनीय, (सोलहकषाय-) अनन्तानुबन्धी क्रोधादि चतुष्क, अप्रत्याख्यानावरण क्रोधादि चतुष्क, प्रत्याख्यानावरणक्रोधादि चतुष्क, संज्वलनचतुष्क (नोकषाय) हास्य, रति, अरति, भय, शोक, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेद । आयुष्य कर्म के चार भेद
नरकायु, तिर्यञ्चायु, मनुष्यायु और देवायु । नाम कर्म की सड़सट प्रकृतियाँ(गतिनाम-) नरकगति, तिर्यञ्चगति, मनुष्यगति और देवगति । (जाति नाम-) एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिंद्रिय, पंचेन्द्रिय । (शरीर नाम-) औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस, कार्मण, (अंगोपङ्गि नाम-) अंगनाम, उपाङ्गनाम, अङ्गोपाङ्गनाम । (संहनन नाम-) वज्रऋषभनाराच, ऋषभनाराच, नाराच, अर्ध
नाराच, कीलक और सेवार्त । (संस्थाननाम-) समचतुरस्र, न्यग्रोध परिमण्डल, सादि, वामन,
कुब्ज और हुंडक । (वर्ण चतुष्क-) वर्णनाम, गंधनाम, रसनाम और स्पर्शनाम । (आनुपूर्वी नाम-) नरकानुपूर्वी, तिर्यञ्चानुपूर्वी, मनुष्यानपूर्वी, देवानुपूर्वी। (विहायोगति नाम-) शुभ विहायोगति और अशुभ विहायोगति । (प्रत्येक अष्टक-) पराघात, उच्छ्वास, आतप, उद्योत, अगुरुलघु,