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________________ (६ए) समग्र गुणोने लद करे , कारण के जेटली सामग्रीवडे यतना थाय तेटली सामग्रीवडे यात्रा कहेली . १५ विशेषार्थ-ते प्रश्नोत्तर वाक्यमां व्रतधारीने सादात अर्थात् कंठपारथी जिनबिंबने प्रणाम करवानो आदेश नश्री, तेथी प्रतिमाने नमवू ते व्रतधारीनी यात्रा न कहेवाय. या प्रकारचें कुमतियोनुं वचन ते मोहरूप ज्वरना आवेशथी प्रलाप करेलु वचन , एटले ज्वरना तोरमां परवश थई जेमतेम बोलाय तेना जेवं ते वचन . ते प्रश्नोत्तर वाक्य ग्रंथते- शुकसोमिलादिके करेला यात्रा पदना अर्थ विषे प्रश्नो, तेमना श्रावच्चापुत्र अने नगवंतवच्चे श्रयेला उत्तरो, जाणवा. वली मुख्य अर्थवडे प्रसिद्ध एवो व्यवहार शब्द प्रयोगरूप समग्र गुणोने सूचवी आपेले. अने तेथी जेटली सामग्रीवडे यतना थाय तेटली सामग्रीवडे यात्रा कथन करेली जे. तेविषे कह्यु के के “ यात्रामा तप, नियम, संयम, स्वाध्याय, ध्यान अने आवश्यकादि सारी यतना पूर्वक करवा.” अहिं विगेरे शब्द एवं बतावेने के, यात्रा पदनो अर्थ यतिना आश्रमने योग्य एवा योगमात्रनी यतना करवी, एवो थायजे. तेथीज सोमिल प्रश्नोतरमां शास्त्रना अर्थवडे यात्रा फलितार्थ बे, एम समजवू. ४७ हवे वैयावच्चना साक्षात् आदेशनी स्थिति कहे. वैय्यावृत्ततया तपोजगवतां नक्तिः समग्रापि वा, वैयावृत्यमुदाहृतंहि दशमे चैत्यार्थमंगे स्फुटं।
SR No.022204
Book TitlePratima Shatak
Original Sutra AuthorYashovijay Maharaj
AuthorBhavprabhsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1903
Total Pages158
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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