SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 717
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (६९४) नियमोंका पालन करके स्वर्गको गया. वहांसे च्यवन कर महाविदेहमें सिद्ध होवेगा इत्यादि. लौकिकग्रंथमें भी यह बात कही है. यथाः- वशिष्टऋपिने पूछा कि- 'हे ब्रह्मदेव ! विष्णु क्षीरसमुद्रमें किस प्रकार निद्रा लेते हैं ? और वे निद्रा लें उस समय कौनसी २ चीजोंको त्यागना ? और उन वस्तुओंके त्यागसे क्या क्या फल होता है?, ब्रह्मदेवने उत्तर दिया- 'हे वशिष्ट ! विष्णु वास्तवमें निद्रा नहीं लेता और जागृत भी नहीं होता, परन्तु वर्षाकाल आनेपर भक्तिसे विष्णुको ये सर्व उपचार किये जाते हैं, विष्णु योगनिद्रामें रहे, तब किन २ वस्तुओंका त्याग करना सो सुन-जो मनुष्य चातुर्मासमें देशाटन न करे, माटी न खोदे तथा बैंगन, चवला, वाल, कुलथी, तूबर, कालिंगडा, मूली और चवलाई इन वस्तुओंका त्याग करे, तथा हे वशिष्ट ! जो पुरुष चातुर्मासमें एक अन्न खावे, वह पुरुष चतुर्भुज होकर परमपदको जाता है. जो पुरुष नित्य तथा विशेष कर चातुर्मास में रात्रिभोजन न करे, वह इसलोकमें तथा परलोकमें सर्व अभीष्ट वस्तु पाता है. जो पुरुष चातुर्मासमें मद्यमांसका त्याग करता है, वह प्रत्येकमासमें सौवर्ष तक कियहुए अश्वमेध यज्ञका पुण्य प्राप्त करता है.' इत्यादि. भविष्यपुराणमें भी कहा है किः-- "हे राजन् ! जो पुरुष चातुर्मासमें तैलमर्दन (अभ्यंग) नहीं करता, वह बहुतसे पुत्र तथा धन पाता है, और नीरोगी रहता है. जो पुरुष पुष्पादिक
SR No.022197
Book TitleShraddh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJain Bandhu Printing Press
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy