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________________ ( ४० ) है । उत्तम राजनीति से जिस भांति साम, दाम, दंड, और भेद ये चार उपाय उत्पन्न होते हैं, उसी भांति रानीसे चार श्रेष्ठ पुत्र उत्पन्न हुए । उनके बाद हंसनीके दोनों उज्वल पंखोंकी भांति मोसाल तथा पिताके दोनों ही शुद्ध कुलवाली एक सुलक्षणा व सुन्दर हंसी नामक कन्या हुई । लोकिक ऐसी रीति है कि जो वस्तु थोडी होती है उस पर विशेष प्रीति रहती है । तदनुसार इस कन्या पर चारों पुत्रों की अपेक्षा मातापिताकी विशेष प्रीति थी । जब यह कन्या आठ वर्षकी होगई तब दूसरी रानीने भी एक सर्वोत्तम सारसी नामक कन्याको जन्म दिया। मुझे ऐसा ज्ञात होता है कि विधाताने सम्पूर्ण पृथ्वी तथा स्वर्गका सार लेकर इन दोनों कन्याओंकी रचना की है । क्योंकि उन दोनोंकी तुलना आपस ही में हो सकती है । सारे विश्व में ऐसी कोई कुमारी नहीं कि जो इनकी समानता कर सकती हो। उन दोनों की परस्पर इस भांति प्रीति होगई कि वे यह सोचने लगीं कि 'हम दोनोंका शरीर अलग २ न होकर एक ही होता तो उत्तम था, पर बडा खेद है कि ऐसा नहीं हुआ' यथा क्रम जब दोनों कामदेवरूप हस्तीके क्रीडावनके समान, तरुणावस्थाको प्राप्त हुई तब उन्होने वियोग भयसे यह निश्चय किया कि 'हम दोनों एकही पति को वरेंगी.' पश्चात् हमारे महाराजने दोनों पुत्रियों को मनोहर वर की प्राप्तिके निमित्त स्वयं यथाविधि स्वयंवर मंडपकी रचना की । उसकी रचना इतनी सुन्दरता से
SR No.022197
Book TitleShraddh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJain Bandhu Printing Press
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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