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________________ (३७५) बुद्धिसे कर्म (कार्य) करनेवाले उत्तम, हाथसे कर्म करनेवाले मध्यम, पगसे कर्म करनेवाले अधम और मस्तकसे ( बोझा उठाकर) कर्म करनेवाले महान् अधम जानो। बुद्धिसे कर्म करनेके ऊपर दृष्टांत कहते हैं। चंपानगरीमें मदन नामक धनश्रेष्ठीका पुत्र था। उसने बुद्धि देने वाले लोगोंकी दुकान पर जाकर पांचसौ द्रम्म दे एक बुद्धि ली कि, "दो जने लडते होवें वहां खडे नहीं रहना।" घर आया तब मित्रोंने उसकी पांचसौ द्रम्मकी बुद्धि सुनकर खूब हंसी करी, तथा पिताने भी भला बुरा कहा। जिससे मदन बुद्धि वापस करके अपने द्रम्म लेनेके लिये दुकानदारके पास आया। दुकानदारने कहा कि, “जहां दो जनोकी लडाई चलती होवे वहां अवश्य खडा रहना ।" यह तू स्वीकार करता हो तो तेरे द्रम्म लौटा दूं । मदनके स्वीकार करनेपर दुकानदारने पांचसौ द्रम्म फेर दिये । एक समय मार्गमें दो सुभटोंका कुछ विवाद हो रहा था, तब मदन उनके पास खडा रहा । दोनों सुभटोंने मदनको अपना २ साक्षी बनाया । अंतमें न्यायके समय राजाने मदनको साक्षीरूपमें बुलवाया। तब दोनों सुभटोंने मदनसे कहा कि, "जो मेरे पक्षमें साक्षी नहीं देगा, तो तेरी मृत्यु निकट ही समझना।" इस धमकीसे आकुलव्याकुल हो धनश्रेष्ठीने अपने पुत्रकी रक्षाके निमित्त एक करोड द्रम्म खर्च करके बुद्धि देनेवालोंके पास से एक बुद्धि ली कि,
SR No.022197
Book TitleShraddh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJain Bandhu Printing Press
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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