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________________ (१०३) इस आकाशवाणीसे राजाको बहुत आश्चर्य हुआ तथा उक्तपुरुषको साथ लेकर उस योगिनीके पास गया । योगिनीने राजाको प्रीतिपूर्वक कहा कि "हे राजन् ! तूने जो दिव्य वचन सुना वह सत्य है । संसाररूपी भयंकर जंगलमें आया हुआ मार्ग बहुत ही विषम है, जिसमें तेरे समान तत्वज्ञानी पुरुष भी घबरा जाते हैं यह बडे ही आश्चर्यका विषय है । हे राजन् ! इस पुरुषका आरंभसे सर्व वृत्तान्त कहती हूं; सुन। ___चन्द्रपुर नगरमें चन्द्रमाके समान आल्हादकारी यशवाला सोमचन्द्र नामक राजा तथा भानुमति नाम उसकी रानी थी । उसके गर्भ में हेमवन्त-क्षेत्रसे सौधर्म-देवलोकका सुख भोग कर एक युगल (जोडला) ने अवतार लिया। अनुक्रमसे भानुमतिसे ज्ञातीवर्गको आनन्ददायक एक पुत्र व एक पुत्रीका प्रसव हुआ। उनमें पुत्रका नाम चन्द्रशेखर व पुत्रीका नाम चन्द्रवती रखा गया । साथ साथ वृद्धि पाते हुए एकसे एक अधिक दोनों को जातिस्मरण ज्ञान हुआ। इतने में राजा सोमचन्द्रने चन्द्रवतीको तेरे साथ विवाह दी, तथा यशोमती नामक एक राजकन्यासे चन्द्रशेखरका विवाह किया। पूर्वभवके अभ्याससे चंद्रशेखर व चंद्रवती इन दोनोंका परस्पर बहुत अनुराग होगया तथा कामवासनासे पूर्वभवके अनुसार सम्बन्ध करनेकी इच्छा करने लगे, धिक्कार है ऐसे सम्बन्ध को इस संसारमें जीवोंको कैसी२. नीच वासनाएं उत्पन्न होती हैं कि जिनका मुंहसे उच्चारण भी नहीं
SR No.022197
Book TitleShraddh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJain Bandhu Printing Press
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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