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________________ पृष्ठ ................... .................. ३३० पर विषयमार्गदर्शिका विषय पृष्ठ . विषय अभ्युच्चय-समुच्चयवचनविमर्शः ...... .........३२३ कर्माष्टकवृत्ति चैत्रीयत्वादि धर्म कर्म समुच्चय और अभ्युच्चय में भेद ..........................३२४ स्वरूप ही है अतिरिक्त नहीं .... ३४१ नयभाषाया वक्तव्यत्वसाधनम् ......... ३२५ तपआदि में तृणारणिन्याय से मोक्षहेतुता ................३४१ भावचारित्र की उपस्थिति में असंभव अतिरिक्तशक्तिसिद्धिः........ .............३४२ अवधारणकथन नामुमकिन ............................ ३२४ निश्चयव्यवहारयोर्मोक्षं प्रत्यनन्यथासिद्धत्वसिद्धिः ....३४४ गृहस्थ से आज्ञा करना साधु के लिए निषिद्ध .........३२५ ग्रन्थशोधनप्रार्थनम् ........ ..............३४४ द्रव्यलिङ्गिविषयकवाग्विधिव्याख्यानम् .............. ३२६ तृणादिजन्य वह्नि मणिआदिजन्य वह्नि से असाधु को साधु कहना मृषावाद है ......................३२५ विजातीय नहीं है..... .............३४३ दुर्गुणी में गुणोपबृहक शब्द का प्रयोग निषिद्ध है .....३२६ तप आदि में एकशक्तिमत्त्वेन मोक्षहेतुता ............३४३ उपबृंहणस्य विनयत्वोक्तिः ......... ........... ३२७ ग्रन्थशुद्धि के लिए गीतार्थ मुनि भगवंत से प्रार्थना ....३४४ गुणवान की अनुपबृंहणा दोषरूप है ..... ...........३२७ ३२७ प्रकरणकरीय प्रशस्ति का भावार्थ .. प्रकार ...........३४५ प्रतिमा के सन्मुख स्तुतिकरण असत्य नहीं है .........३२८ मोक्षरत्नाटीकाकृत्प्रशस्तिः ........ ........३४६ लुम्पकमतलुम्पनम् ........ ३२८ वातादिविषयकविधिनिषेधवचनपरिहारस ............. परिशिष्ट-१-मूलग्रन्थगाथाक्रमनिर्देशः................३४८ सदोष आशंसावचन निषिद्ध ........................ ३२९ परिशिष्ट-२-स्वोपज्ञविवरणान्तर्गतविशेषनामोल्लेखः .. ३५० बिना अतिशय के भाविकथन नहीं करना चाहिए .....३३० । परिशिष्ट-३-मोक्षरत्नायामावेदिताप्रामाण्यानां ग्रंथानां 'शिवमस्तु...' वचनमीमांसा .........................३३१ सूचिलेश .......................................३५१ 'शिवमस्तु सर्वजगतः' असत्यामृषा श्रुतभावभाषा है....३३१ परिशिष्ट-४-मोक्षरत्नायां साक्षितयोद्धृतानां मेघ आदि विषयक भाषणविधि........... ............. 3३२ प्रदर्शितानां च ग्रन्थानां लेशतः सूचिः............३५२ मेघाकाशादिषु देवत्वोक्तिनिषेधः ....... ३३२ परिशिष्ट-५-मोक्षरत्नायां विशेषनाम्नां सूचिलेशः .....३५६ राजा में देव का प्रयोग कारण उपस्थित होने परिशिष्ट-६-मोक्षरत्नायां प्रदर्शिता न्यायाः ...........३५९ __ पर अनुज्ञात. ................................३३३ परिशिष्ट-७-मोक्षरत्नायां साक्षितया उद्धतानां आयव्ययप्रेक्षापूर्वकशुद्धवचनप्रयोगस्य कर्तव्यत्वोक्तिः .३३४ शास्त्रवचनानां निर्देशः .......... ..........३६० रहस्योपदेश .. .............३३३ परिशिष्ट-८-उपयोगिसङ्केतस्पष्टीकरणम् ........ ३६७ चारित्रशुद्धिसम्पादकभाषाप्रयोक्तृ-मुनिस्वरूपख्यातिः . ३३५ भाषाविशुद्धि का फल............ .................३३५ भगवन्तः सर्वोत्कृष्टज्ञानवन्तो न तु संपूर्णज्ञानवन्त' इतिमतापाकरणम् ............... सच्चे सुख का स्वरूप ......... ३३७ अश्वघोषमतालोचनम् ............ ....... प्रस्तुत प्रकरण का उपयोग ३३७ प्रवृत्तिफलयोरनेकान्तैकान्तविमर्शः रागद्वेषविलय में वैलक्षण्य नहीं है ........... मोक्षे विशेषाऽसिद्धिः ............. ३४० तृणारणिमणिन्यायविचारस ........... ........... ३३६ .............. 3३७ .............. .......... ३३८ ३३९ .......... (xxvi)
SR No.022196
Book TitleBhasha Rahasya
Original Sutra AuthorYashovijay Maharaj
Author
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year2003
Total Pages400
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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