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________________ ' (४) 3 ग्रंथ. लेना डली के शेड अज्ञात सुधिहित पूर्वाधार्य यशवंत रखने से ग्रंथ पर निवेशन धुंडे विवदर्थ मुनिशब्द श्री यशरत्वविन हे राज मां विशुद्ध संयत्रकाननधी, खारा धड संथ भी खो नथी' बगेरे वालो जज्ञान वर्ग तरी रमेश यां प्रसारित धर्म रही डे श्वे राज यां रखा ग्रंथ से मान्य ताना देवा हीरेजोश उडाबी रखो के बने तो बने ग्रंथना विधेशन के न्हे गं मोरताथी बांथो बजे 06 चक शडशे संधयोनी विहाना इटु विचाहो, साधुवेच भारारभ्य, संघहीलनाथी धनाश बुडखाबी, डुझेव नो गलत प्रत्याद, होची जलरवाडला, गुरु तच्चतु सारंचार आएब्य, वंदना गुस्तधन दुरखायां खएंडाराहिनी व रटेल चुद्धि, तीर्थ श्रायडो थी नहीं, निर्णयां कीन थाले के बालनी बर्डबह रज्जुखात रखे बजा थरत्वंबी सांगली विशेषता है. सावश्यक निर्धाठित खोधनिर्बुडित, उपदेश - भाजा से बोध अठराश, धर्मरत्न प्रত22), प्रাशন सारोद्वार, निशीथ सूत्र, संथनिर्भयी प्रराश, उत्तराध्ययन सूत्र लगावलीसूत्र, बाहश हुलड़ व्यवहारसूत्र, बंथवस्तु, सहल्यत्यास्य, भाविशीय सूत्र, गुरुतत्वधिनिश्शय श्राबिधि विंशतिर्विशिक्षा, श्रापक धर्म बिधि, विशारसार, *दर्शन शुद्धि सैन्यर्यहन ठंडा लिड, संत्यर्वहनलड, भिय ह ARCHIES LTD. .
SR No.022195
Book TitleGurutattva Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyasundarvijay
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year2015
Total Pages260
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size19 MB
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