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________________ श्रीसम्यक्हार. हवे समकितनी दशरुचीकहेछे ॥ त्यांपहेलीनिसर्गरु चिकेहेछे निश्चयव्यवहारनयेकरी जिवअजीवनवतत्वजा णी श्राश्रवत्यागेसंवरलहे वितरागेकह्याजेनाव॥६॥द्र व्यतेद्रव्यक्षेत्रकालनाभावशंजाणे नामादिच्यारनिक्षेपा जाणेसदहे आपणिबुद्धिशुसदहे वीतरागनिनापाभावत हतछे एवीसदहणा तेनिसर्गरुचिकहिये ॥१॥ हवेउपदे शरुचिकहछे जेएहिजनवतलछद्रव्यगुरुउपदेसशुंजाणी नेसदहे तेउपदेशरुचिकहिए॥२॥हवेआज्ञारुचिकहेछे रा गद्धेपमोह जेनागयाहोय अज्ञानमिट्युहोयअनेजे रीहंतदेवे आज्ञाकहितेमानेनेसदहे तेत्राज्ञारुचिकहिए ॥३॥ हवेसूत्ररुचिकहेछे जेसूत्रनानामनंदिसूत्राथिलखी एछेत्रहवात्तंसमासउ॥ दुविहंपन्नंत॥ तंजहा।। श्रावसयं च॥ श्रावसय॥ वयरीतंच॥ श्रावसयं॥ वयतिंदुविह॥ श्रावसयं॥ वइरीतं॥ श्रावस्सय॥ वयरितं ॥ दूविहंपन्नतं तंजहाकालीयं । उकालीय। सेउकालियाअणेगावहं॥ पणतंतं ॥ दसवेयालियं ॥ कप्पित्रा ॥ १ ॥ कप्पी यं ॥२॥ चूलकप्पसुयं ॥३॥ महाकप्पसूयं॥४॥ उवाइ यं ॥५॥ रायप्पसेणियं ॥६॥ जिवानिगमो॥७॥प नवणा॥८॥ महापन्नवणा ९॥ पमायपमायं ॥१०॥ नंदि ॥११॥ अनुयोगद्वाराइं॥१२॥देविंदत्छनो॥१३॥तंदुलवे यालीय॥१४॥चंदाविजयं॥१६॥सुयभति ॥१६॥ पोरास
SR No.022174
Book TitleAdhyatma Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukammuni, Hirachand Vajechand
PublisherHirachand Vajechand
Publication Year1880
Total Pages738
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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