SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री सम्यक्वार. जेजिनतथाजिननासिद्धांतादिक विनाबिजुंसर्वेजुठु एवंम नमांचिंतववूं तेमनशुद्धि ॥ १ ॥ जे श्रीतिर्थंकर निनक्तिवि नयेथाए || बिजानिभक्तिएशुंथा एएवूंमुखे कहेवूं तेवचनशु द्वि ॥ २ ॥ जो छेद्योनेघोशरीरदूखपामे तोपणबिजादे वनेननमेते कायशुद्धि ॥ ३॥ ५४ पंचगयदोसके | सम्यकनांपांचशंकादिकदूष एएटालवां प्रभाव के प्राठप्रभावक पूरुषार्जन सासननादिपावना रजाणवा॥यदुक्तं॥पावयणी ॥१॥ धम्मकहि॥२॥ वाई॥ ३ ॥ ने मिति ॥४॥ तवसीय ॥५॥विद्या॥६॥सिद्वोयं॥७॥ कइ ॥ ८॥ ठेवप्रभावग्गभणीय ॥ १ ॥ त्रवचनि के ० ॥ वर्त्तमानकाले जे सिद्धांतादिकनो यथार्थऽर्थजाणवो ॥ तेप्रवचनी प्रथमत्र नावक॥ १॥ धर्मकथानंदिषेणनिपरे ॥ बिजोप्रभावक॥२॥ वादकरीने जथार्थपणे जीनसासनथाये ॥ तेवादित्रीजोप्र नावक॥३॥ जीनसासननेनिमितेनिमितकहे ॥ तेभद्रबाहू निपेरेनिमित्तकचोथोप्रभावक ॥ ४ ॥ क्षमासहिततपश्वीपं चमोप्रावक ॥ ५ ॥ विद्याके० ॥ मंत्र जोगेजिनसासनने दिपावे जेमवेरस्वामीछठाविद्या पूरुष प्रभावक॥ ६ ॥ सि के०॥ अंजनादिकप्रयोगेकरीन ॥ जिनसासनदिपावे ॥ कालकाचार्यनिपरे तेसिद्धपूरुषप्रभावक सात मा॥७॥ क इके ० ॥ कविश्वर जेनवनवाकाव्य करीराजादिकरीझवे घ मंदिपावेतेाठमाकविप्रभावक ॥८॥ एाठप्रनावकजा
SR No.022174
Book TitleAdhyatma Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukammuni, Hirachand Vajechand
PublisherHirachand Vajechand
Publication Year1880
Total Pages738
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy