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________________ ४४ श्रीसम्यक्वार. दूणे॥ सुहमेकप्पेउको सेणं॥ सवध सिद्धेविमाणे॥ विराहि यसंजमाणंजह ० ॥भवन ० ॥ उको सेणं सोह मे कप्पे ॥ उकोसे पंचुएकप्पे॥विराहियसंजमासंजमाएं। जहण० ॥ भव णवासिसुउकोसेणं ॥ जाइसीयेसुत्रसणाणं ॥ जहणंभव ऐ०॥उको सेणं वाणवं तरेसुयव से सासवे ॥जह ० ॥भवणवा सिसुउकोसे॥वोच्छिमिताव साणं॥ जोइ सीये सुदपूया ॥ सोहमेकप्पे॥ चरगपरीवायगाणं || बेलेलोएकप्पे किबि सियाएणं ॥ लंतएकप्पे ॥ तेरीछियाएं ॥ सहसारे कप्पे ॥ जिया ॥ श्रचु एकप्पे ॥ श्रनीयोगीया ॥ चुकप्पे ॥ सलिंगिणंदंसणवाव गंगाएंणं ॥ उवरीमगे ॥ विजये सु॥ १ ॥ एहनोप्रर्थक हे छे लेशमात्र ॥ संजयके० ॥ चारत्रिप्रमाण कहितद्रव्यलिंगधारी॥नवियके ० ॥ देवगतिगमीनयोग्य द्रव्यदेव जेजीवमनुष्यनिगतिमाहिथकि कालकरीने दे वताथा ए॥ तेहनेद्रव्यदेव कहिए। एटले कोइ भव्यजीवचक्र | वर्तिप्रमुखनि पूजासतकार बहूमान साधूने करता देखिने तेबहूमानादिकनेकाजे ॥ मिथ्यादृष्टिचारीत्रलेई संपूर्णस माचारीने नुसारे क्रियापाले तेउत्कृष्टोनवग्रेविकसूद्धि जाए पणउत्सूत्रनिपरुपणान करेतोजाए एश्लोकनोना वार्थ जाणवो ॥ १॥ विराहियसंजमाणके ० ॥ प्रखंडचारी त्रनापालनारसाधू जघन्यसुधर्मदेवलोकेज ए उत्कृष्टो सर्वार्थसिधेजाये॥ २ ॥विराहिके०॥ विराधकचारीत्रनोध
SR No.022174
Book TitleAdhyatma Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukammuni, Hirachand Vajechand
PublisherHirachand Vajechand
Publication Year1880
Total Pages738
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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