SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२. श्रीसम्यक् वार. ने कोईजतिप्रमाण करेपणनिषेधनकरे सर्वग्य के ० ॥ केवल ज्ञांनिपणच्यधाकरमादिक श्राहारछदमस्तेंसूधमांनजां णीनेंत्राण्योहोयते श्राहारकेवलिपण सूंनकरे वंदिकया थनउमत्छंके ० ॥ कदाचित् कोईदने चउमत्छंवंदिय के ० ॥ छदमस्तप्रतेवांदेकेवली एटले सिष्य ने केवलज्ञांन उपन्यूंछे अगूरुतोछदमस्तछे तोहिपए जिहांसुधि केवलज्ञांनउ न्युंजांण्यं नाथित्यांसूधिसिष्यनो व्यवहारवेदणादिकनोहो यतेजालवे एगाथामांहेनिश्वेथकीव्यवहारनयबलवान दे खाड्यो एबिजीगाथानोर्थ कह्यो॥२॥ हवेंत्रीजीगाथामां हेनिश्चेनयव्यवहारनय सहित जिनसासनतोहिपण एकन यत्यागकरतोमिथ्यात्वथाय तेकहेछे नथिव्यवहारनउवां पियमेहसास जिणंदां के ० ॥निश्चेव्यवहार सहितछे इ हके०॥इहलोकनेविषे जिणंदांांके ॥ जिनेद्रनूंसासनछे तेनिश्चेव्यवहार सहितछे॥एगयर परीइयो के ० ॥ एकत्वनय नोपरीत्यागकरेएटलोनिश्चेनयतथाव्यवहारनयएबेहूमधे थी एक नयनेमांनेते हतोमीत्छं मांकादियजेयेके । तेहन मि थ्यात्वथाये संख्यादिकउपजे तेपणइहांमिथ्यात्वजछे ए त्रीजी गाथानोर्थकह्यो । ३ । हवे चोथिगाथानोश्रर्थ कहियेछि ये जोव्यवहारनयनेत जे तोतिर्थनो उच्छेदथाये ॥ जीएंइजण मयं पवजह के ०|जोजिनमतनेविषेपवजयके । परवरजाश्रं गीकारकरवि व्यवहारनयमयंमुई हिके • तोव्यवहारनयना
SR No.022174
Book TitleAdhyatma Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukammuni, Hirachand Vajechand
PublisherHirachand Vajechand
Publication Year1880
Total Pages738
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy