SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीज्ञानविलास. श्रीवीतरागदेव नमः ॥ श्रीगुरुभ्यो नमः ॥ ॥ श्रथ श्रीज्ञानविलासग्रंथ लिख्यते ॥ १५१ CCX8L-33 - ॥ दुहा ॥ प्रणमुपासजिणंदनें ॥ जेहछेसुखदा तार ॥ वंछीतपुर दूखहरण || वंदुवारहजार ॥ १ ॥ समरुसरस्वतिभगवती ॥ जिनवरकंठेनेह ॥ पसरती नव्यजीवने ॥ श्रवणेसुखदाईतेह ॥ २ ॥ तेहतणीकृ पाथकी ॥ करुकवितासार ॥ वचनरसालतेहमांठवुं ॥ श्रो सालेजोविचार ॥३॥ धर्मश्रर्थिजेहजीवडा ॥ तेहनेसुखदा ईहोय ॥ मुजपणानुभवएहछे ॥ श्रात्मज्ञानेजोय ॥४॥ तेकारणरचनाकरुं ॥ बालबोधसुखकार ॥ भेदघणाइहां वर्णव्रं ॥ खटद्रव्यविचार ॥ ५ ॥ ॥ ढाल ॥ कपुरहोवेतिउ जलोरे ॥ एदेशी ॥ राजग्रही उद्यानमांरे॥ समोसरयजिन सयचोत्री सप्रति सयदिपतारे॥ विरजिनेश्वर रायसो॥जा ग्रीजिन वंदोनवियणएह ॥ जेहथीनवनोछेह सोमागी जिन चंदोभवियणएह ॥ १ ॥ साधुमांहेसिरोमणीरे ॥ ल तपोभंडार सत्ताविसरजितवतीहारे ॥ पुछेप्रश्नसार # सो० २॥ विनयसहित गौतमतीहारे ॥ मुछेद्रव्यविचा विजियादत पर प्रदेश सांगोतमउदार ॥ खो
SR No.022174
Book TitleAdhyatma Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukammuni, Hirachand Vajechand
PublisherHirachand Vajechand
Publication Year1880
Total Pages738
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy