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________________ पांत्रीसोएक लीनो चडावो, नीज हाथोसें लीनो हे लावो । शा लक्ष्मीचंद वनेचंदने हाम, दलीचंद चेनाजी राजी अभीरांम ।। ओगणीसो एक आपी मलकावे, वराजमान धर्मनाथ करावे। काम अवीचल हाथोसें कीधो, बाकरा संघे पुरण जश लीधो । सोनमल विठाजी सांथु के वाशी, अरनाथ वराजमान करे प्रकाशी। त्रेवीसो एक आपी रुपैया, भवजल सें पार लगावी नैया ।। चुनीलाल पनाजी दीसे शुभकर्मी, सुराके वतनी सायरधर्मी। विमलनाथजी बराजमांन करावे, चोत्रीसो एक हस्ते दिलावे ।। शा म्याचंद हंजारी त्रीकमचंद, पुनमाजी केरा पुनम ज्युं चंद । संभवनाथजी करे वराजमान, दोहजार एक आपे गुणजांन ।। शा प्रागचंद सोनमल अचलदास, मुनीलाल पुखराज ताराजी के सुखराम । अढारसो एक खरच कीना, अनंतनाथजी वराजमान कीना ।। कस्तुरचंद हंसराज भंवरलाल, विरभांणजीरो परवार निहाल । ___अजीतनाथ के अधिष्ठायक देव, वराजमान करी कीधी शुभ सेव ।। पनरसो एक आप्या तत्काल, पुन्य प्रतापे दूर जंजाल । प्रतापमल जुहारमल पुनमचंद, मुनिलाल फोजमल पामो सुखकंद ।। भलाजीकेरो सोहे परवार, पुरा धर्मीष्ट दिल उदार । यक्षीणी प्रीते वराजमान करवा, भवोभवनां दुःखडां हरवा ।। राखी दिलमां पुरण टेक, आप्या रुपैया पन्नरसो एक । हिमतमल केशरीमल, दानी सायर ओपे छे दील ।। घेवरचंद जेठाजी के पुनशाली, रीधीवृधी घर नीत दिवाली। पेला घुमटरे इंडो चडावे, एकत्रीसो एक हाथे दिलावे ।। शा हुकमीचंद मीश्रीमल गुणजांण, मलतानमल जेठमल पारसमल सुजाण । परखाजीरो ए पुन्य वडायो, दूजा घुमटरे ईंडो चडायो ।। भुरमल सोनमल हुकमाजीरा वडभागी, पुन उदय दशा पुरण जागी। त्रीजा घुमटरे ईंडो चडावे, दुःख दालीद्र दूर हटावे ।। एकवीसो एक दीना हे पुरा, दूष्ट कर्मोंरा कीना हे चुरा । भीमराज फुसारांम कूलमां भांण, घेवरचंद छोगाजीके पुनवांन ।। चोथा ईंडारो लीनो चडावो, सुख संपत्ती नीत नीत पावो। पनरसो एक खरची जश लीधो, कर्म खपावा काम ए कीधो ।। शा भुदरमल जोधमल जश धारी, मीश्रीमल पेलादजी के सुखकारी । तेरसोएकके लावो लेरायो, ईंडो पांचमां प्रेमे चडायो ।।
SR No.022169
Book TitleSamyaktva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay, Premlata N Surana
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages382
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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