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________________ १४ तोरण. प्रासाद घर सरएा सेरा जे पर वीसेज कुणी. सींघाने नाङ्गारे त्रीवरो. सोवटरो घएटीगली. चतुर मुजरान मार्ग नाही हे जे हुनो ग्जर्य पुर्वे सज्यो छे छोड़ सुनी थी जलो, गही बनलेप विशेषजे राजरी जंघ अपने जंघ लेडे ते न धन्य तो अंतर मुकुरत रहे ने जीतहष्ट बडी संख्यातो डाल रहे. जे सेजे जनम (क्री) वस्तु संख्यातो अस रहे पीपरांत न रहे. बसी लर पना कराया जापघ्ना कुरा माहावीरना बारासगे जसंख्यातो डाल डीम रह्याए गौतम स्वामी ने ने जीजी हांथी बांध्या। संजेश्वरानी प्रतिमा जसंज्यालो डाल कीम रही?न्ले हेव अलावे रहीखे धर्म म्हेतो पण लुहुँ सागें डेमड़े देवता शेर्पा वस्तुनी स्थीति रधारा समर्थ नयी पृथ्वी अपनी स्थिती जावीस हमर परसनीचे तेणिपरांत रहे नहीं तीयारे ही स्वाधर्मि उद्देशे ने सेंभन्ने गीरनार, जाजु समेतसीजर गीतोड प्रमुजना पाहाड साजो परशनां जान सुपीडीमर यार तेीतर जे पाहाडो तो पृथ्वी थंडी साग्या रह्याछे. पृथ्वि बडी जा हार नस पुहगल पोहोरो छै तेऐऐ डरी रह्या छे. पए। कटको सदी बुहोडीघों ते जावीस कृम्भर वरश डीपगंत रहे नहीं. कम मनुष्यना शरीर बड़ी लाग्या यानज केशबपे पए। अपीने लुहा डीघा पछे वर्षे नहीं, तेरीले भाले ते मारे जसंज्याता असनां देहरा प्रतीमा रहेछ ते सुबीरहेछ. धाकरमी सेवावासाने फळ. हांस्यापरमी उहेछ ? हेचगुइ धर्मने डाने रसापाङरमी जाहार हीने तेहनो साल ते सुध पिश्द्ध उच्छे. श्री गणांगने त्रीने गएरो ; घोघे. ने भए प्रकारे उपजत्य जाणजो जांघे ? कंचनी हंसा करतो थोर जोजोलतोयडो. उ श्रमएा नीग्रंथने समा सुस्ताने जशी जाघाडरमी । जन पाएगी सुजडी मुजयास देतो धड़ो, खापा उरमी जाहार जोपध्य गपाश्रय हैलो जाल डीहायडी होस्ये १ बसी लगवती सत पांयमे आहेसे छठे उत्पोछेने. अह्मकम्पं प्रसव जेतिमापहारेसा भवइ सेतस्म गएास्य णा सोइ अपडीते कालंकरेति नयी तस्य च्याराहणा ॥
SR No.022152
Book TitleSamkitsar Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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