SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शुद्धि - पत्रक पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध | पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ३ १६ गतिम् (त्)? गतिम् १३३ १८ जा जान ६ ७ सिद्वार्थ सिद्धार्थ १३६ १७ प्राशुक प्रासुक , १२ देशणा देसणा १४५ १८ श्रीशर श्रीशूर ९ २ (तृणां का) (तृणों को) १४६ १९ के पुरंदरकुमार वे ,, १६ सद्वर्म सद्धर्म १५६ ,२१ विनय विनन्ती १० १६ समभना समझना १६४ ३ लान लीन १३. २३ तेरा तेरी , ५ दुख .... १४ ८ गुस्सा गुस्से १६६ १३ नरंतरायं निरंतरायं १७ २३ प्रोढता प्रोक्ता १७८ १० चांवल शालि २२. ६ वामन १७९ ५ , २३ २ हवा दवा १५३ ९ समथन समर्थन ४२ ३ सन्त सन्तप्त १९१ १५ . निवृत्ति निवृति ४९ १३ विभत्स बीभत्स २१८ ३ विप्यमु० विप्पमु० ६ हतकः हन्त ! कः २३६ २५ विप्रौषधी विगु औषधी ७२ ९ क कर २३७ १० , " ७४४ तदन्तर तदनन्तर २३९ ६ संहार संहरण ८१. २० वर्दन वद्धन २५० २३ कानम नामक ९५ २ भरदुरतेण गरुयदुरंत २६६ १६ जैसे पिंजरे अच्छे पाश ९६ २ विनय विनंती में रखे हुए वाले अंशुक१०३ ६ अहिसैव अहिंसव शुक पर वस्त्र पर " " स्व स्वर्ग १०४ ७-९ यशोधरा यशोधर१०८ १३ प्राप्तः प्रातः । ११३६ सत्त सत्त. ११८ २४ तलवार तलवर
SR No.022137
Book TitleDharmratna Prakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantisuri, Labhsagar
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year
Total Pages308
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy