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________________ चक्रदेव की कथा में असमर्थ हुआ रुद्रदेव सोमा से विलक्ष मन करके उसके ऊपर अतिशय विरक्त हो गया तथा उसके साथ बोलना आदि बन्द करता है। पश्चात् उसने दूसरी स्त्री से विवाह करने का विचार किया, परन्तु सोमा के रहने के कारण प्राप्त नहीं कर सका, इससे उसे मार डालने के लिये एक सर्प को घड़े में डालकर वह घड़ा घर में रख दिया। पश्चात् वह स्त्री को कहने लगा कि- हे प्रिया ! अमुक घड़े में से पुष्प-माला निकाल ला, तदनुसार सरल-हृदया सोमा ने घड़े में ज्योंही अपना हाथ डाला, त्यों ही उस में स्थित काले नाग ने उसे डस लिया। उसने पति को कहा कि- मुझे तो सर्प ने डस लिया है, तब महाकपटी होने से गारुडियों को बुलाने के लिये चिल्ला २ कर शोर करने लगा। इतने में तो तुरन्त उसके केश खिर पड़े, दांत गिर गये और विष से मानो भयातुर हो उस प्रकार प्राण दूर हो गये । वह सोमा सम्यक्त्व कायम रखकर सौधर्म-देवलोक के लीलावतंसक नामक विमान में पल्योपम के आयुष्य वाली देवांगना हुई। रुद्र परिणामी उस रुद्रदेव ने अब नागदत्त नामक श्रेष्ठी की नागश्री नाम की पुत्री से विवाह किया और अनीति मार्ग में रत रहता हुआ पंच विषय भोगने लगा। वह रुद्र ध्यान में तल्लीन रहकर मृत्यु पा प्रथम नारकी में खाडख्खड नामक नरक-वास में पल्योपम के आयुष्य से नारकोपन में उत्पन्न हुआ। अब सोमा का जीव सौधर्म-देवलोक से च्यवन कर विदेह देशान्तर्गत सुसुमार पर्वत में श्वेतकांति वाला हाथी हुआ । रुद्रदेव का जीव भी नारकी से निकल कर उसी पर्वत में शुकरूप
SR No.022137
Book TitleDharmratna Prakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantisuri, Labhsagar
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year
Total Pages308
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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