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________________ २४ भक्षुद्रगुण पर इतने में अपनी पुत्री की तलाश करने के हेतु सुभट तथा सेवकों को लेकर निकला हुआ वासव राजा भो वहां आ पहुचा, और उस कुमार को देख कर हर्षित हो इस प्रकार कहने लगा कि, हम जिस समय हमारे मित्र मणिरथ को मिलने के लिये तिलकपुर आये थे, उस समय हे दाक्षिण्यपूर्ण कुमार ! तुझे हमने बाल्यावस्था में देखा है. - इसलिये सूर्य के साथ प्रेम रखने वाली यह पति के साथ नित्य प्रेम रखना सीखी हुई कमला नामक मेरी कन्या तेरे दक्षिण हाथ को प्राप्त करके सुखी हो. . इस प्रकार मधुर और गंभोर वाणी से पासव राजा के प्रार्थना करने से, त्रिविक्रम अर्थात् श्रीकृष्ण ने जैसे कमला याने लक्ष्मी से विवाह किया था वैसे ही विक्रम कुमार ने कमला से विवाह किया, दूसरे दिन प्रातःकाल राजा ने हर्ष पूर्वक वर वधु को नगर में प्रवेश कराया और वे वहां राजा के दिये हुए प्रासाद में कोड़ा करते हुए रहने लगे. . (इस प्रकार उक्त वामन पुरुष ने बात कही तब) कमला पूछने लगी कि, भल!, आगे क्या हुआ सो कहो, तब वामन बोला कि अभी तो राज सेवा का समय हो गया है, यह कह वह चलागयादूसरे दिन आकर उसने निम्नानुसार बात प्रारंभ की. अब एक समय रात को किसी रोती हुई स्त्री का करुण शब्द सुन कर उस शब्द के अनुसार चलता हुआ कुमार स्मशान में पहुचा. वहां उसने एक अश्रु पूर्ण भयभीत नेत्रवाली स्त्री को देखा, तथा उसके सन्मुख एक योगा को खड़ा हुआ देखा, वैसे ही एक प्रज्वलित अग्नि का कुण्ड देखा..
SR No.022137
Book TitleDharmratna Prakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantisuri, Labhsagar
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year
Total Pages308
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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