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________________ प्रकाशकीय १४४४ ग्रन्थों के प्रणेता वर्तमानकाल के श्रेष्ठतम संस्कृत साहित्य सर्जक, याकिनीमहत्तरापुत्र प० पू० प्राचार्य भगवंत श्री हरिभद्रसूरीश्वरजी महाराज विरचित श्री अष्टक प्रकरण का हिन्दी भावानुवाद पाठकों के कर कमलों में रखते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। इस ग्रन्थ के प्रकाशन हेतु सिरोही श्री जैन संघ पेढी द्वारा रु० ४००), गं० स्व. लक्ष्मी बाई मूलचंदजी शाहा द्वारा रु० ४००), चुनीलाल अचलदास वराडावाले हाल सिरोही द्वारा रु० १०१) एवं सेठानीजी श्री प्रभावती कुंवर धर्मपत्नी श्री जीतमलजी लोढा अजमेर वालों द्वारा रु० १०१) सहायता मिली है। ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम के निमित्तभूत सम्यक ज्ञान के ऐसे प्रकाशनों में आर्थिक सहयोग देने वाले उक्त महानुभावों की भी हम अनुमोदना करते हैं। पुस्तक के सत्वर प्रकाशन में सहायता प्रो० सोहन लाल पटनी ने की एवं मुद्रा व्यवस्था का भार डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली ने उठाया । तदर्थ वे साधुवाद के पात्र हैं। ३
SR No.022134
Book TitleAshtak Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharvijay
PublisherGyanopasak Samiti
Publication Year1973
Total Pages114
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size6 MB
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