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पांच देवना. बोल. ज० १ समयनो उ० संख्याता मासनो ज्यां लगे १ वरस न होय. इग्यारमे बारमे देवलोके ज० १ समयनो उ० संख्याता वरसना ज्यां लगे सो वरस न होय. पहेली त्रिके ज० १ समयनो उ० संख्याता वर्षना सेंकडा, ज्यां लगें हजार वरस न होय. बीजी त्रीके ज०१ समयनो, उ० संख्याता हजार वरस, ज्यां लगे लाख वरस न होय. त्रीजी त्रीके ज०१ समयनो, उ० संख्याता लाख वरसनो, ज्यां लगे क्रोड वरसन होय. चार अनुत्तर विमानमांज०१ समयनो उ० पल्यना असंख्यातमां भागनो विरहकाल. सर्वार्थसिद्धमां ज०१ समयनोउ. पल्यना संख्यातमा भागनो विरहकाल. सिद्धनो विरह ज०१ समयनो, उ० छ मासनो विरहकाल. चार गतिमां पंचेंद्रीय आश्री विरहकाल ज० १ समयनो उ० १२ मुहर्तनो. सर्व इंद्र स्थानकनो विरह ज० १ समयनो उ०६ मासनो. इति श्री विरह द्वार समाप्तं.
अथ श्री पांच देवना बोल.
पहेलं नाम द्वार, बिजु गुण द्वार, त्रिजु उववाय द्वार, चोथु स्थिति द्वार, पांचमुं रुद्धि तथा विक्रुवणा द्वार, छठं चवण द्वार, सातमु संचिठणा द्वार, आठमुं अंतर द्वार, नवमुं अल्प बहुत्व द्वार. ए ९ द्वार पांच देव उपर उतारे छे.
हवे पहेलं नाम द्वार कहे छे. भविय द्रव्य देव, नर देव, धर्म देव, देवाधि देव, भाव देव. ___ हवे बीजु गुण द्वार कहेछे. मनुष्य तथा तिर्यंचपंचेंद्रिय जेहने देवतामा उपजवु छे तेहने भविय द्रव्य देव कहीये. चौद रत्न नव निधान जेहने होय तेहने नरदेव कहीये. साधुना सत्याविश गुणे