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________________ ४८ पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [गुजराती भाषामां १३०-१३१ साधु अने श्रावकना व्रतनी संख्या ऋषभ अने वीरप्रभुना वारे साधुने पंच महाव्रत, अने श्रावकने अणुव्रत, गुणव्रत, तथा शिक्षाबत मलीने बार व्रत होय छे. शेष बावीश जिनेश्वरोना वारे साधुने चार महाव्रत अने श्रावकने बारव्रत होय छे. मुनिवरो स्त्री अने परिग्रह एकज माने छे तेथी चारज महाव्रत कह्यां छे. १३२ साधुओना उपकरणनी संख्या जिनकल्पी मुनिने पात्र १, पात्रबंधन २, पात्रस्थापवा कंबलखंड ३, पूंजनी ४, पडला, ५ रजत्राण ६, गुच्छा ७, ए सात पात्रना अने त्रणवस्त्र ८-१०, रजोहरण ११, मुखवस्त्रिका १२, ए बार अने स्थविरकल्पीने १३ मात्रक तथा १४ चोलपट्ट मली चौद उपकरण होय छे. ए संयमना साधक होवाथी परिग्रहमां गणाता नथी. १३३-साध्वीओनी उपकरणनी संख्या १ अवग्रहानन्तक (गुप्तस्थान ढांकवानुं वस्त्र) २ पट्ट ( केड बांधवानो वस्त्र ) ३ अधोरुक ( अवग्रहानंतक अने पट्टने ढांकवानो वस्त्र ) ४ चलनीक (ढींचणसुधि लांबो कसोथी बांधवानो वस्त्र)५अभ्यंतरनिवसनी ( अर्धी जंघा ढंकाय तेवू घाघराना आकार वालं वस्त्र ) ६ बहिर्निवसनी (केडथी पगनी धुंटी सुधी लांबु
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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