SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४६ पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [गुजराती भाषामां चौदपूर्वी वैक्रियलब्धि वादीमनि | सामान्य अने अनुत्तरो१२२ । १२३ । पपातिक वगेरानी संख्या __ १२४ - १२५-१२८ ४७५० | २०६०० | १२६५० | जिनश्वंरोना मुनिव२७२० २०४०० १२४०० | रोनी जुदी जुदी संख्या २१५० १९८०० १२००० कोठामां बतावेल छे. ते१५०० १९००० ११००० माथी १ गणधर, २ केवली, २४०० १८४०० १०४५० ३ मनःपर्यवज्ञानी, ४ अव२३०० १६१०८ ९६०० | धिज्ञानी, ५ चौदपूर्वी, ६ २०३० १५३०० ८४०० / वैक्रियलब्धिधर अने ७ २००० १४००० ७६०० | वादीमुनि,आसातनी संख्या १५०० १३००० ६०००/ काढी नाखवाथी जेटली १४०० १२००० ५८०० जेटली संख्या बाकी रहे १३०० ११००० ५००० | तेटला तेटला दरेक जिनव१२०० १०००० ४७०० रना सामान्य मुनि जाणवा. ९००० ३६०० | ऋषभदेवने २२ हजार १००० ८००० ३२०० / ९००, नेमिनाथने १६००, ९०० २८०० पार्श्वनाथने १२००, अने ८०० ६००० २४०० वीरप्रभुने ८००, अनुत्तरो ५१०० २००० पपातिक मुनि समजवा. ६१० ७३०० शेष जिनवरोना अनुत्तरो२९०० | पपातिक मुनि अप्रसिद्ध छे. ५०० २००० १२०० / जे जिनेश्वरने जेटला मुनि ४५० ५००० १००० होय तेटलाज प्रकीर्णक ४०० १५०० ८०० | अने प्रत्येकबुद्ध मुनि ११०० ६०० | जाणवा. गुणमां तो सर्वे ७०० ४०० | सरखाज होय छे. ७००० ६७० १६०० १४०० ६६८ ३५० ३००
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy