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________________ सारांश २ उल्लास] पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. २२-२४ जन्मसमय, नक्षत्र अने राशि-- च्यवनमां बतावेल समय, नक्षत्र अने राशि प्रमाणेज जन्ममां पण समय, नक्षत्र अने राशिओ जाणवी. २५-२७ जिनोना गण, योनि अने वर्ग-- ऋषभ, शीतल, विमल, शांति, महावीर, ए पांच प्रभुनो मानवगण, अजित, संभव, अभिनंदन, चन्द्रप्रभ, श्रेयांस, अनन्त, धर्म, अर, मल्लि, मुनिसुव्रत, नमि, ए अग्यार प्रभुनो देवगण, अने सुमति, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, सुविधि, वासुपूज्य, कुन्थु, नेमि, पार्श्व, ए आठ प्रभुनो राक्षसगण समजवू. __ऋषभदेवनी नकुल, वासुपूज्य, नमि, मल्लि, ए त्रणनी अश्व, अजित अने संभवनी सर्प, अभिनंदननी विलाड, सुमतिनी मूषक, विमल अने वीरप्रभुनी गो, चन्द्रप्रभनी मृग, सुविधिजिननी श्वान, शीतल, श्रेयांस, मुनिसुव्रत, ए त्रणनी वानर, धर्मनाथ अने कुन्थुनाथनी मेष (छाग), अनंत, शांति, अर, ए त्रणनी गज, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, नेमि, पार्श्व, ए चारनी व्याघ्र योनी जाणवी. १-२-४-१४-१८, ए चारनो गरुड, चन्द्रप्रभनो सिंह, ३-५-७-९-१०-११-१६, ए सात प्रभुनो मेष, १५-२१-२२, ए त्रण प्रभुनो सर्प, १२-१३-२४, ए
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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