SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६७ फलोनो दृश्य ] महावीर-गौतम-प्रवचन. पूर्वभवे प्राणी करे, रंग रेडना कर्म । सांध्या बहु संजोगथी, ए फलना छ मर्म ॥१६३॥ ७५ मले रोग मरकी तणो, मरगी जालो मान ।। शाथी को स्वामी ! थशे, धरूं हूँ एकज कान ॥१६४।। धमण धमी लुहारनी, तीव्र रसथी जाण । .. पूर्व भवे प्राणी जनो, लहे फल आखर मान ॥१६५॥ ७६ लींट लालने धुंकतो, केइक मनुष्यने थाय । वृद्धि शा करमे थई, शाथी ए निंदाय ॥१६६॥ पूर्वभवे प्राणी करे, कचरो छाणज लाद । बहु दिन भेलु राखियुं, थाप्या छाणां खाद ॥१६७॥ ७७ जल मांही जन तो मरे, बूडी जाये केम । कया करम कीधां थकी. ए गति मलशे एम॥१६८॥ पेसाबमां पेशाब तो, करियुं वारंवार । एथी जन बूडी मरे, पर भवनी मोझार ॥१६९॥ ७८ मरे जीव बालक दशा, जरी न पामे सुक्ख । कया करम कीधां हशे. कोने दीना दुःख ॥१७०॥ आकर खान खणे घणा, पूर्व भवे को जन्न । एथी जनमे ने मरे, मात्र नाम छे तन्न ॥१७१॥ ७९ वहे नाक मोढुं घj, खेल घणोज खराब । कया करम कीधां हशे, जिनवर द्योज जबाब ॥१७२॥ कूवा वावडीना वली, जल उलेच्यां जान । . लाल लींट ने खेल छे, एथी आ भव मान ॥१७३॥
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy