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________________ 18| वर्णन बीजा गुरु प्रदक्षिणा कुलकमां करवामां आवेलुं छे. पुण्य कुलकमां पुण्य प्रकृतिना योगे || केवीं केवी सारी सामग्रीओ मेळवी शकाय छे ते जणावामां आव्युं छे. दान, शील, तप अने % भावना कुलकोमा ते ते दानादिक धर्मनो महिमा अने तेना आराधक उत्तम पुरुषोनां दृष्टांत है आपवामां आव्यां छे जे आत्मार्थी जनोने 'अनुकरण' करवा योग्य छे, आ 'चारे' कुलकोना | कर्ता तप गच्छनायक श्री जगचंद्रसूरिजीना पटोधर श्रीमान् देवेंद्रसूरिजी छे. अभव्य कुलकमा कया कया गुणो अभव्य जीव न पामे तेनुं वर्णन करेलुं छे. पुण्य पाप कुलकने विषे धर्मकरणी | करवाथी केवा प्रकारना फायदा अने पाप आचरण करखाथी केवा गेरफायदा थाय छे तेनी हकीकत आवे छे. श्रीमद् गौतमऋषिकृत गौतम् कुलकने विषे प्रस्ताविक गुणोथी थता लाभ तथा दोषोथी 3 15 थता गेरलाभ विषे अमूल्य गाथाओवडे सारो उपदेश आप्यो छे. आत्मावबोध कुलक श्रीमत् जयशिखरसूरिए रचेलं छे अने तेमां अध्यात्म ज्ञान विषे संवेद | पमां घणो सुंदर बोध आपेलो छे. जीवानुशास्ति कुलकमां जीवने संसार उपरथी वैराग्य थवानी सारी शीखामण आपी छे. इंद्रियादि विकार निरोध कुलकमां इंद्रियोना विकारोने रोकवानो बोध कर्यो छे. कर्म कुलकने विषे कर्म विपाकथी थता फळनो दृष्टांत साथे उत्तम उपदेश आपी कर्मनी | आस्था दृढ करी बतावी छे. दशश्रावक कुलकमां दसे श्रावकोनुं वर्णन संक्षेपमा करी बताव्युं छे अने इरियावहि कुलकमां इरियावहिना [३०४९२०] भांगावडे मिच्छामि दुक्कडं दीधुं छे.. आ कहेलां सत्तर कुलको मधेनां पहेलं गुणानुराग कुलक वारंवार समजीने वांचतां मने एम लाग्युं के जेटलां कुलको मळी आवे तेटलां बधांनो जो एक पुस्तकमां संग्रह करवामां आवे तो
SR No.022111
Book TitleKulak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalabhai Kakalbhai
PublisherBalabhai Kakalbhai
Publication Year1915
Total Pages112
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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