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________________ (३३) आपकी खात्री हो जाये । पीछे उनको भी मारना. लूटेरों ने उसी समय उसकी जांघ चीरी, धन नहीं मिला, दूसरी जांघ चीरी, तो भी धन नहीं मिला. हाथ भी काटे तब भी कुछ नहीं मिला तब लूटेरों ने उसकी दुर्दशा देख दया आई. तोतेकी गरदन पकड़ मारकर फेंक दिया और अपने स्थान में उदासीन होकर बैठे। तीन व्योपारी छोड़ दिये वेचलेगये किन्तु चोरके हृदय में उनके पर क्रोध नहीं आया जिससे समीप में रही हुई क्षेत्र देवता ने उसी बक्त चोर की सहाय, कर उसे अच्छा बना कर कहा कि जगत में तेरे समान क्या क्या उपकार करूं ? चाहे सो मांग ले ? बो वोला कि तोते को अच्छा बनादो? जो इस समय तडफ रहा था. उसे अच्छा बनाया, फिर देवी बोली कि. और क्या करू ? वो बोला ! साधुओं का मिलाप करादे। अब धर्म पाकर पूर्व पापों का प्रायश्चित लेकर पवित्र होकर कर्म के फंदे से छूट जाउं ? देवी ने वैसा ही किया बो विशेषज्ञ होने से सब को बचा कर लूटेरों को भी सुधारने वाला होकर साधुओं के पास जाकर मुक्ति का भाजन हुआ, इस लिये जो विशेषज्ञ होता है वोही धर्म पा सक्ता है । • श्रावक का वृद्धा नुग (१७) वा गुण जो पुरुष बड़ें। के मार्गमें चलता है वो ही इस लोक में सुखी होता है अथवा छोटी उम्र में लड़कों की बुद्धि विशाल न होने से दुष्ट लोग उनको फसाते हैं. इस लिये प्रत्येक कार्य करने में मा बाप बड़े भाई वगैरह को पूछ कर कार्य करने से अधिक लाभ होता है वैसे ही धर्म कार्य में भी जो बड़ों के पीछे जाते हैं. वे धर्म पा सक्ते हैं क्योंकि बड़ों को ज्ञान है कि पाप का फल दुःख और पुण्य का फल सुख है और अनुभव से भी वे जानते हैं कि इस तरह से बड़ों के कहने में रहने से इतना लाभ हुआ है. इस लिये बड़ों के पीछे चलना ठीक है। .. . दृष्टात ___एक राजा को जवान और बूढे मंत्री थे. राजा को एक दिन जवान ने कहा कि आप काम नहीं करने वाले बूढों को तनखा क्यों व्यर्थ देते हो। राना ने कहा, ठीक है ? कल परीक्षा कर योग्य करूंगा. दूसरे दिन सभा में
SR No.022110
Book TitleDharmratna Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyamuni
PublisherDharsi Gulabchand Sanghani
Publication Year1916
Total Pages78
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size6 MB
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