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________________ सम्बत् १९८६का चातुर्मास वहांपर किया और व्याख्यानमें श्री भगवतीसूत्रका उपदेश दिया । सम्वत् १९८७के कार्तिक कृष्णा अष्टमीको मुनिश्री मानविजयजीगणिको पंन्यासपद अर्पण किया । इस अवसर पर हठीसिंह पटवाकी ओरसे अट्ठाइ महोत्सव, श्रीफलकी प्रभावना तथा नवकारसी भोजन हुआ । तत्पश्चात् पन्न्यासजी तारंगाजी पधारे । वहां सीपोरवालेकी ओरसे आंगी, पूजा तथा नवकारसी भोजन हुआ। वहांसे टेंबा, नागरमोरिया, पालनपुर होकर आबूकी यात्रा करते हुए शिवगंज पधारे । सम्वत् १९८७का चातुर्मास वही पर किया । इस चातुर्मासमें पंन्यासश्रीके उपदेशसे श्री महावीर विद्यापीठकी स्थापना हुई । चातुर्मासकी समाप्ति पर विहार कर खिवान्दी, तख्तगढ होते हुए पंचतीर्थकी यात्रा कर वाली पधारे। वहांपर पूज्य गुरुमहाराजका फलोदी शिघ्र पहुंचनेका पत्र पाने पर वहांसे विहार कर पाली, जोधपुर, ओशिया होते हुए फलोदी पधारे। वहां आचार्य श्रीविजयनीतिसूरीश्वरजी महाराजने उनको सम्बत् १९८८ की जेष्ट शुल्ला. ६को आचार्यपदसे विभूषित किया। इस अवसरपर अठाई महोत्सव, समवसरण रचना, उजमणा, शान्तिस्नात्र, नवकारसी भोजन आदि धार्मिक कार्य बड़े धूमधामसे हुए और उस वर्षका चातुर्मास भी वहींपर किया और साधुओंको प्रज्ञापना तथा सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रकी वाचना प्रदान की । चातुर्मासकी समाप्तिपर विहार कर बिकानेर पार्श्वनाथ फलोदी, मेडता, सोजत होकर शिवगंज पधारे । वहां तख्तगढके संघकी विनति आई इसलिये सम्बत् १९८९का चातुर्मास आचायश्रीने तख्तगढमें किया । चातुर्मासके बाद शिवगंज, मढार, पालनपुर होकर साधुसम्मेलनमें अहमदाबाद पधारे और सम्मेलनकी समाप्तिपर आचार्यश्रीने बम्बईको ओर विहार किया और
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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