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________________ . "फांसीकी सजा पानेवाले चोरके अथवा वध करनेके स्थानपर लिये जानेवाले पशुके मृत्यु धीरे धीरे समीप माती जाती है, इसीप्रकार सबके मृत्यु समीप आती रहती है, तो फिर प्रमाद क्योंकर होता है ?" उपजाति. विवेचनः-गुजराती भाषामें एक कहावत है कि " मा जाणे दीकरों मोटो यो पण आउखामाथी ओछो थयो" माता विचार करती है कि मेरा पुत्र दिनप्रतिदिन बड़ा होता जाता है किन्तु वह यह नहीं सोचती कि दिनप्रतिदिन उसके अन्तकाल में भी कमी होती जारही है अर्थात् उसका मरणकाल समीप भा रहा है । प्रत्येक घड़ी, प्रत्येक मिनिट और प्रत्येक सेंकन्ड अपना अपना कार्य करते रहते हैं, अंतः रेतघड़ीमेंसे गिरती हुई एक एक कणीको स्वर्णमय समझ कर उसका सदुपयोग करो। कुदरती तौरसे भी शरीरकी बनावट उद्योगकी ओर प्रवृत्त करती है, अतः शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करते हुए अपना कर्तव्यपालन करना कर्तव्यपरायणता कहलाता है । समयकी देवी' (Goddess of Time ) का अंग्रेजी में स्वरूप बताया गया है कि उसके तालवेपर चमड़ेकी चोटी है, और पीछेसे शिर मुण्डा है । प्रसंग-समयके आने पर जो उसे आगेसे पकड़ते हैं वे उसकी चोटी पकड़ सकते हैं और उससे लाभ उठा सकते हैं; किन्तु जो पीछेसे पकड़ने का प्रयत्न करते हैं उनके हाथमें मुण्डा शिर आता है अर्थात् 'गया वख्त फिर हाथ आता नहीं ' इसलिये प्राप्त हुए समयको निरर्थक न जाने देना चाहिये और हृदयमें सुनहरी अक्षरसे अंकित कर - 1 Goddess of time has been personified.
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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