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________________ के आग्रहसे वही पर किया । इस चातुर्मासमें अठाई महोत्सव तथा पूजा-प्रभावना आदि धार्मिक कार्य भी भलीभांति पूर्ण हुए । वहां से विहार कर तख्तगढ, खीवान्दी होते हुए .वरकाणाजी, नांदोल, नांदलाई, घाणेराव, राणकपुर तीर्थोकी यात्रा कर शिवगंम पधारे । वहां से कुंभारीयानी, तारंगाजी आदिके दर्शन करते हुए पाटण पधारे और वहां पर दादागुरु वयोवृद्ध पूज्य पंन्यासजी महाराज श्रीभावविजयगणिवरको वन्दन किया । तत्पश्चात् वहांसे विहार कर श्रीसंखेश्वर पार्श्वनाथकी यात्रा कर भोयणी होते हुए पूज्य गुरुमहाराजके पास अहमदाबाद पधारे । सम्वत् १९७५का चातुर्मास वहीं पर हाजापटेळकी पोळमें संवेगी उपाश्रयमें किया । इस चातुर्मासमें पंन्यासजी महाराजने व्याख्यानमें लोकप्रकाश नामक महाग्रन्थका वाचन किया । तत्पश्चात् पूज्य गुरुमहाराज श्रीविजयनीतिसूरिश्वरजीकी आज्ञासे विहार कर भोयणी, शंखेश्वर होते हुए राधनपुर पधारे और सम्वत् १९७६का चातुर्मास वहीपर किया और साधुको भगवतीसूत्र पढ़ाया। वहांसे विहार कर पालीताणे पधारे वहां सिद्धगिरिराजके दर्शन कर भावनगर महुवे होते हुए जूनागढ पधारे, वहां रैवतगिरीपर नेमिनाथके दर्शन कर वंथली, वेरावल होकर प्रभासपाटण पधारे, वहां चन्द्रप्रभस्वामी के दर्शन किया। वहांसे मांगरोल, जूनागढ, अमरेली होते हुए पूज्य गुरुमहाराजके समीप पालीताणे पधारे । सम्वत् १९७७का चातुर्मास वहां पर किया और साधुओं को प्रज्ञापना तथा अनुयोगद्वारसूत्रकी वासनां प्रदान की । तत्पश्चात् पंन्यासश्री बहांसे विहार कर बोटाद, लीमडी होते हुए वीरमगांव पधारे, वहां पर अहमदाबादवाहोंकी विमति होनेसे रामपुरा, भोयणी, कडी होते हुए अहमदाबाद पधारे व सम्वत् १९७८का चातुर्मास वहां पर मिला।
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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