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________________ पर-द्रव्य का सम्बन्ध विचार कर फिर स्वार्थ साधन में तत्पर होना समता प्राप्त करने का चोथा उपाय है। यह चोथा उपाय थोड़े से विचार करने से बहुत अच्छी तरह प्राप्त कर सकते हैं कारण कि इसमें व्यवहार की दशा मात्र ही बदखने की आवश्यकता होती है । इस साधन की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ॥ २६ ॥ पौद्गलिक पदार्थों की अस्थिरता-स्वप्न दर्शन स्वप्नेंद्रजालादिषु यद्वदाप्तै रोषश्च तोषश्च मुधा पदार्थैः। तथा भवेऽस्मिन् विषयैः समस्तै- ". रेवं विभाव्यात्मलयेऽवधेहि ॥ २७॥ " जिस प्रकार स्वम अथवा इन्द्रजाल आदि के पदार्थों पर रोष तथा तोष करना न्यर्थ है उसी प्रकार इस भव में प्राप्त हुये पदार्थों पर भी ( रोष तथा तोष करना व्यर्थ है) इसप्रकार विचार करके आत्मसमाधि में तत्पर हो ।" ॥२७॥ उपजाति भावार्थ:-स्वार्थ साधन के चोथे उपाय की यहां विशेष रूप से पुष्टि की जाती है । " कुसुमपुर नगर में एक भिक्षुक रहता था। तमाम दिन भटक भटकाकर जरा जरासा भी मिक्षान ले पाया । ग्राम के बाहर एक वृक्ष के नीचे बैठकर अन्न खाया और पानी पिया । मंद पवर की सुहावनी लहर से वहां सो गया । स्वप्न देखा कि वह राजा हो गया है, भोग की सामप्रिये मिल गई हैं, लिये मिल गये हैं, दोनों तरफ चमर सड़ रहे हैं और
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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